ठेंगें पर आयुक्त का शासनादेश! मनरेगा विभाग में चहेती फर्म को दे दिया करीब 70 लाख रुपए का कार्य!

लखनऊ। सीतापुर मनरेगा विभाग में अफसरों की सरपरस्ती में भ्रष्टाचार का बोलबाला है यह हम नहीं कह रहे हैं यह जनपद के प्रत्येक ब्लॉक में इस वक्त ऐसी चर्चा जोरों पर है। करीब 9 ब्लाकों में मनरेगा योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत लाभार्थी परक कार्यों में वॉल पेंटिंग का कार्य जो कराया गया उसके लिए अफसरों ने मनरेगा आयुक्त के शासनादेश की जमकर धज्जियां उड़ा दी और अपनी चहेती फर्म को करीब 70 लाख रुपए का भुगतान कर डाला।

मामला सीतापुर जिले के मनरेगा विभाग का है। जहां कुछ समय पूर्व वित्तीय वर्ष 2020-2021 में मनरेगा योजना के अंतर्गत वॉल पेंटिंग का कार्य कराया गया था। दिनांक 29 जून 2020 के आयुक्त ग्राम विकास के रविंद्र नायक के शासनादेश के अनुसार मनरेगा योजना के अंतर्गत वॉल पेंटिंग के कार्य को महिलाओं द्वारा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कराए जाने का आदेश जारी किया गया था।
लेकिन सीतापुर विकास विभाग के अफसरों ने आयुक्त के उक्त शासनादेश को ठेंगा दिखाकर अपनी चहेती फर्म से लाखों का कार्य करा लिया गया।
आपको बता दें कि हरगांव, परसेंडी, लहरपुर, महमूदाबाद,रामपुर मथुरा, सकरन, महोली में मनरेगा के प्रशासनिक मद के अंतर्गत 2020-2021 में वॉल पेंटिंग का कार्य कराया गया है जोकि सूत्रों की माने तो बहराइच की किसी फर्म के द्वारा इन ब्लाकों के अंतर्गत दूरगामी ग्राम पंचायतों में वॉल पेंटिंग का कार्य कराया गया और कार्य करा कर सारा भुगतान करीब 9-9 लाख रुपए का ब्लॉकों के माध्यम से फर्म को कर दिया गया।
इसके लिए ना तो कोई टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई ना ही इसकी कोई जानकारी किसी को दी गई जबकि आयुक्त के शाशनादेश में साफ निहित है कि किसी स्वयं सहायता समूह महिलाओं के द्वारा ही वॉल पेंटिंग का कार्य कराया जाएगा जबकि ऐसा विकास विभाग के अफसरों ने नहीं किया हैरानी की बात तो यह है कि जब इस मामले में हरगांव परसेंडी रामपुर मथुरा समेत कई खंड विकास अधिकारियों से newj9 की टीम ने फोन पर बात करी तो उनका साफ कहना था कि इस मामले में आप उपायुक्त मनरेगा सुशील श्रीवास्तव से बात करें उन्हीं को पूरी जानकारी है।
जबकि वॉल पेंटिंग का भुगतान बीडीओ ने किया उसके बावजूद भी बीडीओ को कोई जानकारी इस विषय पर नहीं है। जब इस मामले में जिले के डीसी मनरेगा सुशील श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह कार्य नहीं कर सकता था तो किसी अन्य से कराया गया। जबकि उनके पास ऐसा कुछ लिखित में नही है।
वहीं इस मामले में सीडीओ सीतापुर का साफ तौर पर कहना है कि यह मामला उनके पहले का है फिर भी इस मामले की किसी अन्य अफसरों से विस्तृत जांच कराई जाएगी। (रिपोर्ट- सुधांशु पुरी/पंकज कश्यप)