योगी जी अन्य विभागों में भी तबादला एक्सप्रेस चलने की आवश्यकता है!

लखनऊ। यूपी के स्वास्थ्य महकमे में इन दिनों अफरा तफरी का माहौल है। दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते कई वर्षों से जमे बाबूओं को दूरदराज के जनपदों में तबादला कर उनकी रातों की नींद उड़ा दी है। वही बड़े पैमाने पर इसी विभाग में चिकित्सकों के भी तबादले किए गए हैं।
दरअसल इसको लेकर बीते कई वर्षों से सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिर कई कई सालों से एक ही पते पर बाबू कैसे जम जाते हैं? क्या कभी उनका तबादला नहीं हो सकता? बाबू पहली तैनाती जिस शहर में पाते हैं उसी में अपना आशियाना बना लेते हैं।
इन सब को लेकर लगातार सवाल खड़े होते थे? लेकिन जवाब किसी भी सरकार के पास नहीं था। वही इसका जवाब योगी सरकार ने अपने इस कार्यकाल के पूरे होने से 8 माह पूर्व दे दिया है और एक बड़े पैमाने पर तबादला एक्सप्रेस चलाई गई है।
ऐसे में सवाल यह भी है कि यह तबादला एक्सप्रेस सिर्फ स्वास्थ विभाग में क्यों चली? क्या अन्य विभागों में इसकी आवश्यकता नहीं है? तो जवाब होगा हां। क्योंकि अन्य कई ऐसे विभाग खासकर जिनमें कलेक्ट्रेट और विकास विभागों से संबंधित कार्यालय हैं वहां पर भी हर जनपद में स्थिति कमोबेश यही है और तबादले की बड़ी लंबी लाइन इसका इंतजार कर रही है।
अगर यह कहा जाए कि पहली बार किसी सरकार ने अधिकारियों के बाद बाबूओं पर अपनी नजर दौड़ाई है तो गलत नहीं होगा। क्योंकि बाबू पर अधिकारियों की मेहरबानी ही हमेशा उनकी नियुक्ति में हावी रही है।
यही नहीं कई बार तो ऐसे ऐसे बाबूओं को उनके कद से भी बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी गई क्योंकि उन पर किसी ना किसी बड़े अधिकारी की मेहरबानी होती थी और कई वरिष्ठ बाबू किनारे लगा दिए जाते रहे हैं। तो ऐसे में अब उम्मीद की जा सकती है कि स्वास्थ विभाग के बाद शायद योगी सरकार अन्य विभागों में भी इस तरीके की कार्रवाई करेगी ताकि भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों पर लगाम लगाई जा सके।
अपने ही विभाग में ठेकेदारी करने लगते हैं वर्षों से जमे बाबू!
वर्षों से जमे बाबुओं पर इस तरह का आरोप है कि वह जिस विभाग में नौकरी करते हैं वहीं ठेकेदारी करने लगते हैं। इसको लिए वह अपने किसी रिश्तेदार या करीबी का सहारा लेते हैं। यदि योगी सरकार इसकी जांच कराए तो हकीकत बेपर्दा होने में वक्त नही लगेगा।
वरिष्ठ बाबुओं को किनारे कर सीतापुर डीएम का बना ओएसडी
यूपी के सीतापुर जिले की बात करें तो यहां जनपद भर में 7 तहसीलें हैं और कलेक्ट्रेट विभाग को मिला लें तो सभी मे सैकड़ों की तादाद में बाबू तैनात हैं। जिसमें न जाने कितने वरिष्ठ से वरिष्ठ बाबू हैं। बावजूद इसके तत्कालीन डीएम शीतल वर्मा ने एक तहसील के बाबू को अपना ओएसडी बना दिया। जो आज भी जमा है। हालात यह हैं कि जिले के कई विभाग के अधिकारी भी इन साहब की हां हुजूरी करते नजर आते हैं। जबकि अनुभव में कहीं इनसे वरिष्ठ हैं।
हिमांशु पुरी- कंसल्टिंग एडिटर