उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव से पहले बड़ा बदलाव, ग्राम पंचायतों की संख्या हुई कम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले राज्य सरकार ने बड़ा प्रशासनिक फैसला लिया है। पंचायती राज विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए राज्य की 504 ग्राम पंचायतों को कम कर दिया है। अब पूरे प्रदेश में 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव कराए जाएंगे। विभाग ने आंशिक पुनर्गठन की अधिसूचना भी जारी कर दी है, जिसमें कहा गया है कि अब ग्राम पंचायतों की संख्या में कोई और बदलाव नहीं होगा।

सूत्रों के मुताबिक, पंचायत चुनाव अप्रैल 2026 में कराए जा सकते हैं। इस चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है, इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बार 826 ब्लॉक प्रमुख और 75 जिला पंचायत अध्यक्ष भी चुने जाएंगे।
राजभर की मांग – सीधे चुनाव की वकालत
पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने हाल ही में दावा किया था कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर यह प्रस्ताव रखा कि ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराया जाए।
उनका कहना है कि इससे धन और बाहुबल की राजनीति पर अंकुश लगेगा। हालांकि, इस तरह के बदलाव के लिए संसद से कानून पास कराना अनिवार्य है और अब तक इस पर राष्ट्रीय स्तर पर कोई चर्चा शुरू नहीं हुई है।
सियासी गठबंधन और रणनीतियां
राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही है। वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन में भी दरार के संकेत मिल रहे हैं। सपा और कांग्रेस के बीच साथ चुनाव न लड़ने की चर्चा है।
हालांकि निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मंत्री संजय निषाद ने स्पष्ट किया है कि
“हम अलग चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी का समर्थन करेंगे।”
नजरें पंचायत चुनाव पर
2026 में होने वाले पंचायत चुनाव को सभी दल 2027 विधानसभा की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। ग्राम पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव तक, भाजपा और विपक्ष के बीच सीधा टकराव देखने को मिलेगा। अब देखना यह है कि घटती पंचायतों और बदलते समीकरणों के बीच जनता का झुकाव किस ओर होता है।