सपा ने तीन बागी विधायकों को दी राहत, जानें क्या कहा

लखनऊ | समाजवादी पार्टी (सपा) ने सोमवार को तीन बागी विधायकों – अभय सिंह (गोशाईगंज), राकेश प्रताप सिंह (गौरीगंज) और मनोज कुमार पांडेय (ऊंचाहार) – को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधियों और राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग के आरोपों के चलते की गई है।
सपा ने इस निष्कासन की जानकारी अपने आधिकारिक ट्विटर/X हैंडल के जरिए साझा की।
निष्कासन से नहीं जाएगी विधानसभा सदस्यता
विशेषज्ञों के मुताबिक, सपा की यह कार्रवाई तीनों विधायकों के लिए कानूनी राहत लेकर आई है। दरअसल, दल बदल कानून केवल तभी लागू होता है जब कोई विधायक स्वयं पार्टी छोड़ता है या किसी अन्य दल में शामिल होता है।
लेकिन यदि किसी विधायक को पार्टी से निष्कासित किया जाता है, तो वह दल बदल कानून के दायरे में नहीं आता, और उसकी विधानसभा सदस्यता सुरक्षित रहती है।
इस स्थिति में विधानसभा स्पीकर संबंधित विधायकों को “असंबंधित” (independent या unattached) सदस्य घोषित कर सकते हैं, जिससे वे अपने शेष कार्यकाल तक विधायक बने रह सकते हैं।
स्पीकर का भी आया बयान
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा:
“यदि किसी विधायक को उनकी राजनीतिक पार्टी निष्कासित कर देती है और विधानसभा सचिवालय को इसकी आधिकारिक सूचना दी जाती है, तो उन्हें दल बदल कानून के तहत नहीं माना जाता। यह केवल उस स्थिति में लागू होता है जब पार्टी याचिका देकर विधिक कार्यवाही की मांग करती है।”
बीजेपी से नजदीकियों के चलते थी सख्ती की आशंका
तीनों विधायकों पर बीते वर्ष राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग का आरोप था, जिसके बाद से उनकी बीजेपी नेताओं के साथ बढ़ती नजदीकियों की खबरें सुर्खियों में थीं। इसके चलते सपा में अंदरूनी नाराज़गी थी और निष्कासन की संभावनाएं लंबे समय से जताई जा रही थीं।
राजनीतिक विश्लेषण: निष्कासन बना राहत का रास्ता
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस कार्रवाई ने तीनों विधायकों के लिए रास्ता साफ कर दिया है। न सिर्फ वे विधायक पद पर बने रहेंगे, बल्कि अब उनके पास विकल्प खुला है कि वे किसी अन्य पार्टी में शामिल होकर भविष्य की रणनीति तैयार कर सकें।
इस निष्कासन के बाद सपा अपने राजनैतिक अनुशासन का संदेश देना चाहती है, जबकि बागी विधायक बिना विधायकी गंवाए नई सियासी ज़मीन तलाश सकते हैं।
समाजवादी पार्टी की यह कार्रवाई जहां आंतरिक अनुशासन बनाए रखने का प्रयास है, वहीं तीनों बागी विधायकों के लिए यह एक तरह की राजनीतिक छूट भी बन गई है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये विधायक स्वतंत्र बने रहते हैं या किसी दल में शामिल होते हैं।