मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने बताए जीवन के पांच मंत्र, समलैंगिकता से जूझ रहे युवक को दिया आत्मबोध

मथुरा-वृंदावन। संत प्रेमानंद महाराज का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके प्रवचन सुनने और दर्शन करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। मथुरा और वृंदावन की पावन भूमि पर उनका आश्रम न केवल भक्ति का केंद्र है, बल्कि वह स्थान भी है जहां लोग अपने जीवन की उलझनों का समाधान खोजने आते हैं। हाल ही में महाराज के समक्ष एक असामान्य लेकिन संवेदनशील मामला सामने आया, जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को सोचने पर मजबूर कर दिया।
“महाराज, मैं समलैंगिक हूं… लेकिन अब बदलना चाहता हूं”
एक युवक ने प्रेमानंद महाराज के समक्ष अपने मन की बात रखते हुए कहा,
“महाराज, मैं समलैंगिक हूं। अब तक 150 से अधिक पुरुषों के साथ संबंध बना चुका हूं, लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं। मैं इस जीवन से बाहर निकलना चाहता हूं, कृपया मार्गदर्शन दें।”
महाराज ने युवक की ओर सहानुभूति भरी मुस्कान के साथ देखा और बहुत सहजता से कहा,
“यह तुम्हारी आत्मा की उपज नहीं है, यह बस तुम्हारे दिमाग में बैठा एक विचार है। तुम्हें इससे लड़ना होगा। यह अगर तुम्हें काबू में ले लेगा, तो तुम्हारी छवि और जीवन दोनों को प्रभावित करेगा। तुम इस संसार में मिटने नहीं, बल्कि जीतने आए हो।”
महाराज के इन शब्दों ने न केवल उस युवक का मनोबल बढ़ाया, बल्कि वहां उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भी आत्मबोध का संदेश दे दिया।
प्रेमानंद महाराज के जीवन को बदलने वाले 5 दिव्य मंत्र
एक अन्य प्रवचन में महाराज ने पांच ऐसे नियम बताए, जिन्हें अपनाकर कोई भी व्यक्ति दुख, संकट और भय से मुक्त होकर सुखमय जीवन जी सकता है।
1. प्रभु के चरणों का स्पर्श और चरणामृत
“सुबह उठते ही ठाकुरजी के चरणों का स्पर्श करो और चरणामृत ग्रहण करो। इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा, और शरीर की अनेक बीमारियां स्वतः नष्ट होंगी।”
2. मंत्र जाप से सुरक्षा कवच
“घर से निकलते समय 11 बार ‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने नमः’ मंत्र का जप करो। अंगुलियों पर गिन कर जप करना सुनिश्चित करो। इससे दुर्घटनाएं, बुरी नजर और अनहोनी आपसे दूर रहेंगी।”
3. हर दिन 20-30 मिनट संकीर्तन
“प्रतिदिन कुछ समय भजन और कीर्तन में लगाओ। यह तुम्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाएगा और घर के वातावरण को भी पवित्र और ऊर्जा से भरपूर रखेगा।”
4. 11 बार दंडवत प्रणाम
“रोजाना ठाकुरजी को 11 दंडवत प्रणाम करने का संकल्प लो। इससे जीवन में आध्यात्मिक प्रगति होती है और पुनर्जन्म से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।”
5. वृंदावन की रज का चमत्कार
“वृंदावन की रज अपने साथ रखो और रोजाना उसे माथे और सिर के बीच में लगाओ। यह रज आपके जीवन में शुभता, सकारात्मकता और दिव्यता का संचार करेगी।”
संत प्रेमानंद महाराज की बातें केवल धार्मिक उपदेश नहीं, बल्कि मानव मन और जीवन के गहरे अनुभवों से उपजी शिक्षाएं हैं। उन्होंने जहां एक ओर एक समलैंगिक युवक को बिना किसी दुविधा या कटाक्ष के मार्गदर्शन दिया, वहीं पूरे समाज को यह सिखाया कि धर्म का अर्थ डराना नहीं, दिशा दिखाना होता है।