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बिहार में ‘जमाई पॉलिटिक्स’ का हंगामा: जेडीयू नेता का इस्तीफा, तेजस्वी यादव के आरोपों को मिला बल

पटना, बिहार की सियासत में इन दिनों ‘जमाई पॉलिटिक्स’ की गूंज तेज हो गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा आयोगों और बोर्डों में दामादों और रिश्तेदारों की नियुक्तियों को लेकर उठाए गए सवालों के बीच, जनता दल यूनाइटेड (JDU) को तगड़ा झटका लगा है। पार्टी के एक सीनियर और पुराने नेता नवीश कुमार नवेंदु ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।

इस्तीफे की वजह बन रही है — पार्टी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और ‘कोटा सिस्टम’ के तहत आयोगों में हो रही नियुक्तियां। नवेंदु के इस कदम से जहां पार्टी के भीतर नाराजगी उजागर हुई है, वहीं तेजस्वी यादव के आरोपों को भी और मजबूती मिलती दिख रही है।

क्या है पूरा मामला?

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बिहार के विभिन्न आयोगों, निगमों और बोर्डों में राजनीतिक नेताओं के दामादों, बहुओं और सगे-सम्बंधियों को तैनात किया जा रहा है। उन्होंने इसे ‘जमाई कोटा’, ‘पत्नी कोटा’ और ‘विकास मित्र कोटा’ करार देते हुए नीतीश सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठाए।

अब उन्हीं आरोपों की गूंज जेडीयू के भीतर से भी सुनाई दी है। पटना साहिब विधानसभा के प्रभारी और अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता नवीश कुमार नवेंदु ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को एक पत्र भेजकर इस्तीफा दे दिया है।

इस्तीफे में क्या लिखा?

नवीश नवेंदु ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए भी अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा:

“पिछले 13 वर्षों से जनता दल यूनाइटेड का समर्पित कार्यकर्ता रहा हूं। बारिश, आंधी-पानी में भी पार्टी के लिए कार्य करता रहा। लेकिन आज पार्टी में RSS कोटा, दामाद कोटा, विकास मित्र कोटा, मंत्री कोटा और पत्नी कोटा से आयोगों और निगमों में अध्यक्ष व सदस्य बनाए जा रहे हैं।”

“योग्य कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है, जिससे मुझे गहरा आघात पहुंचा है। इसलिए मैं प्रदेश प्रवक्ता और विधानसभा प्रभारी के पद के साथ-साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं।”

इस्तीफे के मायने और सियासी संकेत

  • नवेंदु का इस्तीफा जेडीयू के भीतर बढ़ती नाराजगी और असंतोष को उजागर करता है।
  • इससे तेजस्वी यादव के आरोपों को भी वैधता और सियासी ताकत मिलती है।
  • जेडीयू को विधानसभा चुनावों से पहले ऐसे विवादों से संगठनात्मक नुकसान हो सकता है।
  • यह घटना नीतीश कुमार की वफादार कार्यकर्ताओं की नाराजगी और विरोधी खेमें को मिल रहे मुद्दों का स्पष्ट संकेत देती है।

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