धर्मांतरण रैकेट में ईडी की बड़ी कार्रवाई: ‘छांगुर बाबा’ के 14 ठिकानों पर छापेमारी

लखनऊ– धर्मांतरण रैकेट से जुड़े धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले की जांच में जुटी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बड़ी कार्रवाई की है। ईडी की टीमों ने छांगुर बाबा उर्फ़ जमालुद्दीन से जुड़े देशभर में 14 ठिकानों पर एकसाथ छापेमारी की।
ईडी ने क्यों मारा छापा?
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यह छापेमारी धर्मांतरण गिरोह से जुड़े हवाला और काले धन के लेन-देन की जांच के तहत की गई है। वहीं आईएएनएस की रिपोर्ट में बताया गया है कि ईडी की टीमें इन ठिकानों से डिजिटल डिवाइसेज़, दस्तावेज़, नकदी और बैंक डिटेल्स जब्त कर रही हैं।
इससे पहले उत्तर प्रदेश एटीएस ने छांगुर बाबा को गिरफ्तार किया था और उन पर धार्मिक रूपांतरण (कन्वर्ज़न) रैकेट चलाने के आरोप लगाए थे।
कौन हैं ‘छांगुर बाबा’?
- असली नाम: जमालुद्दीन
- मूल निवासी: गाँव रेहरा माफी, तहसील उतरौला, ज़िला बलरामपुर (उत्तर प्रदेश)
- पहले का पेशा: साइकिल से नग-आभूषण बेचते थे
- बाद में खुद को बताया: पीर और धार्मिक गुरु
गांववालों के अनुसार, छांगुर बाबा पहले साधारण जिंदगी जीते थे। लेकिन बाद में मुंबई चले गए और लौटकर खुद को आध्यात्मिक नेता बताने लगे।
वे दो बार — 2005 से 2010 और 2015 से 2020 तक ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। धीरे-धीरे वे बड़े पैमाने पर धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल हो गए, जिसके चलते जांच एजेंसियों की निगाह में आए।
धर्मांतरण रैकेट का क्या है मामला?
उत्तर प्रदेश पुलिस और एटीएस की जांच में यह सामने आया था कि छांगुर बाबा के देशभर में कई संपर्क हैं और वे धार्मिक रूपांतरण के लिए फंडिंग, नेटवर्किंग और आयोजन करते रहे हैं।
एटीएस का दावा है कि उन्हें विदेशी फंडिंग और हवाला के ज़रिए पैसा मिलता था, जिसका इस्तेमाल धर्म परिवर्तन कराने के लिए किया जाता था।
अब ईडी की जांच इस बात पर केंद्रित है कि इस नेटवर्क को कितना पैसा कहां से मिला, और इन पैसों को कैसे इस्तेमाल किया गया।
विपक्ष और सरकार में टकराव तय
इस मुद्दे को लेकर प्रदेश की राजनीति भी गरमा सकती है। सत्ताधारी भाजपा इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा मुद्दा बता रही है, जबकि विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप भी लगाए हैं।