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कोल्हान में दो दिग्गज नेताओं के निधन से झारखंड की सियासत में भूचाल, जेएमएम पर गहरा असर

रांची: झारखंड की सियासत में अगस्त 2025 का महीना झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के लिए बेहद कठिन साबित हुआ है। राज्य की सत्ता संभाल रही पार्टी ने सिर्फ 12 दिनों के भीतर दो बड़े नेताओं को खो दिया। 4 अगस्त को पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के निधन से झारखंड में शोक की लहर दौड़ ही रही थी कि 15 अगस्त की देर रात कोल्हान के कद्दावर नेता और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया।

चंपाई सोरेन की नाराजगी और सत्ता का बदलाव

झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कोल्हान की राजनीति में हलचल तब मची थी जब 28 अगस्त 2024 को पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी। उन्होंने कैबिनेट और विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद हेमंत सोरेन सरकार ने कोल्हान के प्रभावशाली नेता रामदास सोरेन को कैबिनेट में शामिल किया।

नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव में रामदास सोरेन ने चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को शिकस्त देकर घाटशिला सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की। 5 दिसंबर 2024 को उन्होंने हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी।

कोल्हान में जेएमएम का आधार और बड़ा झटका

कोल्हान क्षेत्र में पूर्व सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले आते हैं। यह इलाका लंबे समय से झामुमो का गढ़ रहा है। लेकिन अगस्त में दो बड़े नेताओं के निधन ने पार्टी संगठन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। सवाल यह है कि अब कोल्हान की सियासत की बागडोर किसके हाथों में होगी।

फिलहाल जेएमएम के पास कोल्हान में कई मजबूत चेहरे मौजूद हैं – सांसद जोबा मांझी, मंत्री दीपक बिरुवा, विधायक समीर मोहंती, मंगल कालिंदी, निरल पूर्ति और सोनाराम सिंकू। ये नेता संगठन को संभालने के लिए सक्रिय हैं, लेकिन रामदास सोरेन के निधन से खाली हुए नेतृत्व की भरपाई आसान नहीं होगी।

पहले भी झामुमो को लगा बड़ा झटका

6 अप्रैल 2023 को झामुमो के लिए एक और कठिन समय आया था जब ‘टाइगर’ के नाम से मशहूर तत्कालीन शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो का चेन्नई में निधन हो गया था। कोविड संक्रमण के बाद उनकी लंग्स ट्रांसप्लांट सर्जरी हुई थी और लंबे समय से वे अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में वे जेएलकेएम प्रमुख जयराम महतो से हार गईं।

अब सबसे बड़ा सवाल: कोल्हान की कमान किसके हाथ में?

रामदास सोरेन के निधन ने कोल्हान की राजनीति को अधर में डाल दिया है। यह चर्चा तेज हो गई है कि उनकी राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा और हेमंत सोरेन किसे नया चेहरा बनाएंगे।

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