ऑनलाइन गेमिंग पर सख्त कानून: सर्विस प्रोवाइडर और विज्ञापनदाता को 3 साल की जेल

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण के लिए लोकसभा में ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक’ पेश किया है। इस बिल का मकसद ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है, जबकि ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह से नकेल कसना है।
खिलाड़ियों को राहत, सर्विस प्रोवाइडर्स पर गाज
बिल के मुताबिक, ऑनलाइन मनी गेम खेलने वालों के लिए कोई सजा नहीं होगी। केवल ऐसे खेलों को ऑफर करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स, विज्ञापन देने वाले, प्रमोटर और आर्थिक सहयोग करने वाले जिम्मेदार होंगे।
क्या है सजा का प्रावधान?
- मनी गेमिंग की पेशकश या सुविधा देने पर:
3 साल तक की जेल और/या ₹1 करोड़ तक का जुर्माना। - मनी गेम्स का विज्ञापन करने पर:
2 साल तक की कैद और/या ₹50 लाख का जुर्माना। - संबंधित वित्तीय लेनदेन पर:
3 साल तक की कैद और/या ₹1 करोड़ तक का जुर्माना। - दोबारा अपराध करने पर:
3 से 5 साल की कैद और ₹2 करोड़ तक का जुर्माना।
सभी प्रमुख अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
अधिकारियों के पास कितनी ताकत?
केंद्र सरकार अधिकारियों को अधिकार देगी कि वे:
- अपराध से जुड़ी डिजिटल संपत्ति की जांच, तलाशी और जब्ती कर सकें।
- कुछ मामलों में बिना वारंट के प्रवेश, तलाशी और गिरफ्तारी कर सकें।
ई-स्पोर्ट्स को मिलेगी कानूनी मान्यता
सरकार ने कहा कि ई-स्पोर्ट्स को अब प्रतिस्पर्धी खेल के एक वैध रूप में बढ़ावा मिलेगा। युवा मामले और खेल मंत्रालय एक ढांचा तैयार करेगा। इसके साथ ही ऑनलाइन सोशल गेम्स को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
क्यों जरूरी है यह कानून?
सरकार का कहना है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग लत, वित्तीय नुकसान और आत्महत्या जैसे गंभीर नतीजों की वजह बन रही है। कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं। इसी वजह से सख्त कानून की जरूरत पड़ी।