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पश्चिम बंगाल: चुनाव आयोग का SIR विरोध का सामना, सनातनी ब्राह्मण समाज ने जताई नाराजगी

कोलाघाट, पूर्वी मिदनापुर: पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की टीम को पूर्वी मिदनापुर जिले में एसआईआर (Special Intensive Revision) प्रक्रिया के दौरान विरोध का सामना करना पड़ा। केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम जब कोलाघाट दौरे पर गई, तो सनातनी ब्राह्मण समाज ने उनका विरोध किया।

समाज ने कहा कि वे चुनाव आयोग द्वारा की जा रही मतदाता सूची की समीक्षा (SIR) को स्वीकार नहीं कर सकते, क्योंकि कई वास्तविक भारतीय नागरिकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। उनका दावा था कि इस प्रक्रिया के दौरान सच्चे मतदाता सूचीबद्ध नहीं हो पा रहे हैं।

सनातनी ब्राह्मण समाज का बयान

समाज ने कहा कि कल बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी ने मांग की थी कि मतदाता सूची से केवल चार प्रकार के नाम हटाए जाएँ:

  1. मृत मतदाता
  2. दोहरी या तिहरी प्रविष्टियाँ
  3. फर्जी मतदाता
  4. अवैध घुसपैठिए (विशेषकर रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए)

समाज ने भरोसा जताया कि इस प्रक्रिया से किसी भी भारतीय नागरिक को, चाहे किसी भी धर्म या समुदाय का हो, हटाया नहीं जाएगा।

चुनाव आयोग के निर्देश और समीक्षा

चुनाव आयोग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को SIR की तैयारियों के तहत मतदाता सूची मानचित्रण प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया और इसे सात दिनों में पूरा करने का समय सीमा तय की। अधिकारियों के अनुसार, वर्तमान में लगभग 40 प्रतिशत कार्य अधूरा है और कई जिलों में प्रगति धीमी है।

इस प्रक्रिया में 2002 की मतदाता सूची के आधार पर मौजूदा मतदाताओं का सत्यापन शामिल है ताकि 2025 की सूची में सटीकता सुनिश्चित की जा सके।

कोलकाता स्थित मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय में हुई समीक्षा बैठक में वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती ने जिलाधिकारियों और ईआरओ/सहायक ईआरओ को स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि SIR केवल बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में लागू है। अन्य राज्यों ने इसे पूरा कर लिया है या पूरा होने के करीब हैं, और अगर पश्चिम बंगाल पिछड़ता है तो यह राष्ट्रीय स्तर पर समस्याएं पैदा कर सकता है।

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