इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौरव गुप्ता की भरण-पोषण याचिका खारिज की

इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौरव गुप्ता की परिवार न्यायालय द्वारा तय गुजारा भत्ते के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। गौरव गुप्ता ने पत्नी रितिका गुप्ता और बेटी के लिए 40 हजार रुपए मासिक भरण-पोषण के आदेश को चुनौती दी थी।
पति की दलील
गौरव गुप्ता ने दावा किया कि वे एक कंपनी के निदेशक हैं, लेकिन कंपनी घाटे में चल रही है। उनकी तर्क थी कि उनकी वार्षिक आय लगभग 2.40 लाख रुपये (20 हजार प्रति माह) है। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी उच्च शिक्षित हैं और इंटीरियर डिजाइनिंग में डिग्रीधारक हैं, इसलिए उनसे भी कमाने की अपेक्षा की जानी चाहिए।
पत्नी की दलील
रितिका गुप्ता ने अदालत को बताया कि वे वर्तमान में अपनी छोटी बेटी की देखभाल में व्यस्त हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें बच्चे के पालन-पोषण और अपनी जरूरतों के लिए उचित भरण-पोषण की आवश्यकता है।
अदालत का फैसला
हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षित होने या पूर्व में नौकरी करने से पत्नी का भरण-पोषण का अधिकार समाप्त नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के हवाले से अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि विवाहिता पत्नी वास्तविक रूप से निर्भर है, तो उसे भरण-पोषण का पूरा अधिकार है।
पति की आय छिपाने की कोशिश
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि पति ने अपनी वास्तविक आय को छिपाने की कोशिश की। यदि कंपनी घाटे में थी, तो यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उसके माता-पिता, जो कंपनी के निदेशक भी हैं, उनका वेतन कैसे बढ़ गया। अदालत ने इसे जानबूझकर भरण-पोषण से बचने की कोशिश करार दिया।
अदालत का निष्कर्ष
न्यायमूर्ति मदान पाल सिंह की एकलपीठ ने कहा—
“एक सक्षम और स्वस्थ व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करने योग्य आय अर्जित करे।”
परिवार न्यायालय के 40 हजार मासिक भरण-पोषण के आदेश को हाईकोर्ट ने सही ठहराया और गौरव गुप्ता की याचिका को पूरी तरह खारिज कर दिया।