उत्तर प्रदेश
अजमेर दरगाह चादरपोशी विवाद: अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

अजमेर: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हर साल होने वाली चादरपोशी को लेकर विवाद बढ़ गया है। हिंदू सेना द्वारा दायर याचिका पर अजमेर जिला अदालत ने केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय को नोटिस जारी किया है और 10 दिसंबर को अगली सुनवाई में अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा है।
याचिका का आधार
- हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अदालत में कहा कि दरगाह मूल रूप से भगवान शिव का प्राचीन मंदिर था और इस मामले पर सिविल मुकदमा लंबित है।
- उनका कहना है कि प्रधानमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों द्वारा उर्स पर चादर भेजना गलत संदेश देता है और मुस्लिम पक्ष इसे अदालत में अपने समर्थन में पेश करता है।
- याचिका में यह भी कहा गया कि चादर भेजने की परंपरा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुरू की थी, जिसे हिंदू सेना मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति मानती है।
कोर्ट से क्या मांगा गया
- प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य विभागों को ज्ञापन भेजा गया था कि चादर न भेजी जाए, लेकिन कार्रवाई न होने पर अदालत का रुख करना पड़ा।
- अदालत से मांग की गई है कि इस परंपरा पर रोक लगाई जाए, जब तक मूल मुकदमे में फैसला नहीं आता।
उर्स की तैयारियां और अगली सुनवाई
- अजमेर दरगाह का सालाना उर्स 16 दिसंबर से शुरू होगा।
- अदालत 10 दिसंबर को संवैधानिक पदाधिकारियों की चादरपोशी पर रोक लगाने की याचिका की सुनवाई करेगी।
- हिंदू सेना की मूल याचिका पर अगली सुनवाई 3 जनवरी को तय है।
- उर्स की तैयारियां फिलहाल तेजी से जारी हैं।
इस मामले में अदालत का फैसला धार्मिक आस्था और संवैधानिक प्रथाओं के बीच संतुलन तय कर सकता है और आगे की परंपरा पर असर डाल सकता है।



