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नोएडा जमीन मुआवजा घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने SIT को जांच पूरी करने के लिए दो महीने का और समय दिया

नोएडा में जमीन अधिग्रहण के दौरान कुछ जमीन मालिकों को ग़ैरकानूनी तरीके से अधिक मुआवजा दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हुई सुनवाई में SIT को दो महीने का अतिरिक्त समय दे दिया। अदालत ने साफ कहा कि जांच अब दो महीने के भीतर ही पूरी कर ली जाए, क्योंकि पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है।

क्या है मामला?

यह मामला नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों और कुछ जमीन मालिकों की मिलीभगत से जुड़ा है, जिन पर आरोप है कि वे ऐसे लोगों को भी अधिक मुआवजा दे रहे थे जो इसके हकदार नहीं थे
इसी संदर्भ में एक लॉ ऑफिसर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पहले SIT जांच के आदेश दिए थे।

सुनवाई के दौरान क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान नोएडा अथॉरिटी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए थोड़ा समय मांगा।
उन्होंने बताया कि SIT ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है और जांच पूरी करने के लिए अतिरिक्त समय चाहती है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा: “उन्हें कहिए कि वे इसे दो महीने में पूरा करें। तीन महीने की जरूरत नहीं है। पहले ही काफी समय दिया जा चुका है।”

SIT की अब तक की जांच में क्या मिला?

जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने SIT जांच का निर्देश दिया था। अगस्त में दाखिल रिपोर्ट में पाया गया कि—

  • 1198 किसानों को अधिक मुआवजा दिया गया था।
  • इनमें से 1167 मामले कोर्ट के आदेशों के अनुरूप पाए गए।
  • लेकिन 20 मामले पूरी तरह गलत थे, जिनमें कुछ किसानों को बिना हक के बड़ी रकम दे दी गई।
  • SIT ने इन 20 मामलों में नोएडा अथॉरिटी के संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि की है और नाम भी बताए हैं।

क्यों अहम है यह फैसला?

सुप्रीम कोर्ट का यह रुख नोएडा में जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और हर स्तर पर हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। SIT की अंतिम रिपोर्ट आने के बाद कोर्ट आगे की कार्रवाई तय करेगा, जिसमें दोषियों के खिलाफ सख्त कदम संभव हैं।

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