उत्तर प्रदेश: कोहरे और सर्दी में 10 लाख गरीब बच्चे अभी भी बिना स्वेटर के जा रहे स्कूल

उत्तर प्रदेश में बढ़ती ठंड और कोहरे के बीच लगभग 10 लाख सरकारी स्कूल के बच्चे अभी भी बिना स्वेटर, जूते-मोजे और बैग के स्कूल आ रहे हैं। वजह है अभिभावकों का आधार कार्ड न बनना या बैंक खाते से लिंक न होना, जिससे 1200 रुपये की डीबीटी राशि तकनीकी अड़चनों में फंसी हुई है।
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल सभी परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते-मोजे, बैग और स्टेशनरी के लिए 1200 रुपये सीधे अभिभावकों के खाते में भेजने का निर्णय लिया था। लेकिन अब तक करीब 3.5 लाख बच्चों के अभिभावकों का आधार कार्ड नहीं बना, जबकि 6.5 लाख के आधार बैंक खाते से लिंक नहीं हैं।
अधिकारियों का दावा:
बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ब्लॉक स्तर पर कैंप लगाकर आधार बनवाया जाए और बैंक खातों से लिंक किया जाए, ताकि जल्द ही बच्चों तक पैसा पहुंच सके। निदेशक ने कहा कि कड़ाके की ठंड में कोई बच्चा बिना स्वेटर और जूते-मोजे के स्कूल न आए।
बच्चों की स्थिति:
कई जिलों में कैंप चल रहे हैं, लेकिन दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों के अभिभावक आने में असमर्थ हैं। कई बच्चों के माता-पिता की वजह से वे पुरानी फटी यूनिफॉर्म और चप्पलों में स्कूल पहुंचते हैं, और कई बच्चे बीमार भी पड़ गए हैं।
आशा:
बेसिक शिक्षा विभाग का कहना है कि दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह तक सभी लंबित मामलों का निपटारा कर दिया जाएगा, लेकिन तब तक लाखों बच्चे उत्तर प्रदेश की कड़ाके की ठंड में बिना गर्म कपड़ों के स्कूल जाते रहेंगे। यह केवल 1200 रुपये का मामला नहीं है, बल्कि सैकड़ों बच्चों की ठिठुरती उंगलियों और शिक्षा की उम्मीदों का मामला है।
