आपातकाल में आरएसएस कार्यकर्ताओं को उल्टा लटकाया गया था: संघ प्रवक्ता सुनील आंबेकर का बड़ा खुलासा

नई दिल्ली | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने आपातकाल (Emergency) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में लगे आपातकाल के दौरान संघ कार्यकर्ताओं पर हुई कथित ज्यादतियों को याद करते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उस दौर में सिर्फ इसलिए संघ के स्वयंसेवकों को जेल में डाला गया क्योंकि वे समाज और संस्कृति की सेवा कर रहे थे।
बचपन की यादों से लेकर तानाशाही तक का जिक्र
आंबेकर ने कहा,“जब आपातकाल लगा था, हम बहुत छोटे थे और शाखा में खेलते थे। हमें लगता था कि ‘आपातकाल’ ऐसी चीज है जो बच्चों को खेलने से रोकती है। स्कूल बंद था, और ये समझ नहीं आता था कि सरकार ऐसा कैसे कर सकती है।”
समय के साथ जब वे बड़े हुए, तब उन्हें समझ आया कि आपातकाल का मतलब सिर्फ स्कूल बंद होना नहीं था, बल्कि लोकतंत्र की आवाज को दबाना और तानाशाही को लागू करना था।
संघ कार्यकर्ताओं को दी गई अमानवीय सजा
आंबेकर ने दावा किया कि:
- कई कार्यकर्ताओं को उल्टा लटका दिया गया
- कई को बुरी तरह पीटा गया
- 180 प्रचारकों को जेल में डाला गया, जिनमें से कई को भेष बदलकर छिपकर रहना पड़ा
- स्वयं संघ प्रमुख बालासाहेब देवरस को नागपुर स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया गया था
उन्होंने कहा कि ये सब इसलिए हुआ क्योंकि संघ कार्यकर्ता लोकतांत्रिक तरीके से समाज सेवा कर रहे थे।
सरकार में था असुरक्षा का भाव
संघ प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि उस समय की सरकार को स्वयंसेवकों से डर और असुरक्षा थी। उन्होंने कहा:“जिस तरह तानाशाह फैसले लेते हैं, वैसा ही उस समय हुआ। सत्ता में बैठे लोग लोकतंत्र की भावना को समझ नहीं पाए।”
जब हटा आपातकाल, नागपुर कार्यालय में जश्न का माहौल
आंबेकर ने बताया कि जब आपातकाल हटाने का ऐलान हुआ, उस समय नागपुर के आरएसएस कार्यालय में हजारों लोग इकट्ठा हो गए। सभी के चेहरे पर खुशी थी कि लोकतंत्र की जीत हुई और तानाशाही का अंत हो गया।
दुनिया में तानाशाही लंबे समय तक चली, लेकिन भारत में नहीं
उन्होंने कहा कि भारत में स्वतंत्रता के सिर्फ 25 साल बाद तानाशाही आई, लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं चल सकी।“यह भारत की लोकतांत्रिक चेतना की ताकत है कि आपातकाल केवल 21 महीने में खत्म हो गया।”