उत्तर प्रदेश

चंद्रशेखर आजाद की चेतावनी: प्रयागराज हिंसा पर CBI जांच की मांग

लखनऊ/प्रयागराज जिले के करछना थाना क्षेत्र में हुई हिंसा अब सियासी रंग ले चुकी है। नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना को “षड़यंत्र” करार देते हुए लखनऊ में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “अगर हमारे लोगों को जानबूझकर फंसाया गया, तो हम शांत नहीं बैठेंगे।”

“कौशांबी की घटना से ध्यान भटकाने की साजिश” – चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद ने प्रयागराज की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह एक सुनियोजित साजिश है। उनका कहना है कि “कौशांबी की घटना से ध्यान भटकाने के लिए यह हिंसा रची गई है। हमारे कार्यकर्ता संविधान में विश्वास रखते हैं और हिंसा में शामिल नहीं होते। अगर किसी ने नीला पटका पहन रखा है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वो हमारा कार्यकर्ता है।”

CBI जांच की मांग, सरकार पर गंभीर आरोप

आजाद ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पुलिस और प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। “अगर सरकार, पुलिस या प्रशासन हमारे कार्यकर्ताओं को टारगेट करेगा तो हम आंदोलन करेंगे। लखनऊ में बड़ा जनांदोलन होगा,” उन्होंने चेतावनी दी।

प्रयागराज दौरे में रोके जाने पर उठाए सवाल

चंद्रशेखर आजाद ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रयागराज में पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, “मैं प्रयागराज गया था, हमारी पाल समाज की बेटी को न्याय दिलाने के लिए। लेकिन पुलिस ने मुझे सर्किट हाउस में रोक लिया। जब मैंने कहा कि मुझे पीड़ित परिवार से बात करने दें, तो वह भी नहीं करने दिया गया। यह एक रणनीति थी मुझे दूर रखने की, ताकि सच्चाई सामने न आए।”

“सरकार की मिलीभगत से हुआ बवाल” – अजय राय का बयान

इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि “भीम आर्मी के बवाल के पीछे सरकार की मिलीभगत है। चंद्रशेखर आजाद को रोका जाना गलत था। जब हम वहां गए तो पूरा सहयोग मिला, लेकिन सांसद को जानबूझकर रोका गया। यह एक प्रवोग (प्रवृत्त) योजना का हिस्सा है।”

राजनीतिक उबाल और दलित राजनीति का नया मोड़

प्रयागराज की घटना अब दलित राजनीति के केंद्र में आ गई है। आजाद समाज पार्टी इस मुद्दे को सियासी हथियार बनाकर मैदान में उतर चुकी है। वहीं कांग्रेस भी सरकार पर सवाल उठा रही है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को लेकर लखनऊ में बड़ा विरोध प्रदर्शन हो सकता है, जो प्रदेश सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

प्रयागराज की हिंसा अब कानून व्यवस्था से आगे बढ़कर सियासी घमासान बन चुकी है। चंद्रशेखर आजाद का आक्रामक रुख और CBI जांच की मांग यूपी सरकार के लिए नई चुनौती है। अगर जल्द स्थिति स्पष्ट नहीं हुई, तो यह मुद्दा एक बड़े सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन की शक्ल ले सकता है।

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