अनिल अंबानी ईडी ऑफिस पहुंचे, 17,000 करोड़ लोन फ्रॉड केस में हो रही पूछताछ

नई दिल्ली – रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी मंगलवार (5 अगस्त, 2025) को दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ED) के ऑफिस पहुंचे, जहां उनसे 17,000 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड मामले में पूछताछ की जा रही है। यह पूछताछ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत दर्ज केस के सिलसिले में हो रही है।
ईडी ने अनिल अंबानी को पिछले हफ्ते नोटिस भेजकर तलब किया था। यह मामला रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) और रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) से जुड़ा हुआ है।
क्या हैं आरोप?
ईडी की जांच के अनुसार:
- रिलायंस ग्रुप की कंपनियों ने बैंकों से हजारों करोड़ का लोन लिया।
- लोन को मंजूरी दिए गए उद्देश्यों पर खर्च नहीं किया गया।
- फंड्स को शेल कंपनियों के माध्यम से घुमाया गया।
- जांच में फर्जी दस्तावेज और नकली बैंक गारंटी के इस्तेमाल का भी खुलासा हुआ है।
बकाया रकम का विवरण:
- RHFL: ₹5,901 करोड़
- RCFL: ₹8,226 करोड़
- RCom: ₹4,105 करोड़
किन बैंकों से लिया गया था लोन?
जांच में सामने आया है कि इन कंपनियों को लोन देने वाले प्रमुख बैंक थे:
- यस बैंक
- भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
- ICICI बैंक
- HDFC बैंक
- एक्सिस बैंक
- यूको बैंक
- पंजाब एंड सिंध बैंक
- बैंक ऑफ इंडिया
इन लोन अकाउंट्स को अब NPA (Non-Performing Assets) घोषित कर दिया गया है।
BTPL घोटाले से भी जुड़ा है मामला
इस केस में एक नया नाम BTPL (Brilliant Technologies Pvt Ltd) का भी जुड़ा है। इस कंपनी के एमडी पार्थ सारथी बिस्वाल को हाल ही में ईडी ने गिरफ्तार किया है। आरोप है कि:
- BTPL ने फर्जी बैंक गारंटी बनाकर रिलायंस पावर को दी।
- इसके बदले रिलायंस पावर से ₹5.4 करोड़ की रकम ट्रांसफर हुई।
- BTPL ने SBI के नाम से मिलते-जुलते फर्जी डोमेन का इस्तेमाल किया।
अब ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस फर्जीवाड़े में रिलायंस पावर की भूमिका, फंड ट्रेल और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं क्या थीं।
ईडी आगे क्या करेगी?
सूत्रों के अनुसार:
- अब ईडी लोन देने वाले बैंकों के सीनियर अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है।
- यह जांच की जाएगी कि बैंकों ने लोन डिफॉल्ट के बाद क्या एक्शन लिया।
- क्या बैंकों ने आपराधिक कार्रवाई के लिए जांच एजेंसियों को कोई शिकायत भेजी?
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक:
“हम यह जानना चाहते हैं कि क्या बैंकों ने समय पर कार्रवाई की? क्या उन्होंने शिकायत दर्ज कराई? या मामले को सिर्फ एनपीए तक सीमित रखा?”