किशनगंज विधानसभा सीट: बीजेपी की स्वीटी सिंह पांचवीं बार मैदान में, चुनौती कड़ी

बिहार में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोर पकड़ चुका है और राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच किशनगंज विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अब तक जीत का खाता नहीं खुला है। मुस्लिम बहुल इस जिले में 60 फीसदी से अधिक आबादी रहती है, और 1967 से अब तक मुस्लिम प्रत्याशी ही जीतते आए हैं।
किशनगंज जिले की चार विधानसभा सीटों में से 2020 में महागठबंधन ने तीन सीटें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को और एक कांग्रेस को दी थी। इस सीट पर कांग्रेस और एआईएमआईएम के अलग-अलग उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, जबकि बीजेपी लगातार हारती रही है।
बीजेपी ने पिछले चार चुनावों में स्वीटी सिंह को लगातार उम्मीदवार बनाया। 2010 में उन्होंने कांग्रेस के डॉक्टर मोहम्मद जावैद से महज 264 वोटों से हार का सामना किया। 2015 में अंतर 8,609 वोट और 2019 उपचुनाव में 10,204 वोट रहा। 2020 के चुनाव में भी स्वीटी केवल 1,381 मतों से जीत से चूक गईं।
स्वीटी सिंह 47 वर्ष की हैं, बीजेपी के पूर्व विधायक सिकंदर सिंह की पत्नी और पेशे से वकील हैं। वह पहले जिला परिषद सदस्य और अध्यक्ष रह चुकी हैं। उनके पति ने 1995 में ठाकुरगंज सीट जीतकर बीजेपी के लिए जिले में खाता खोला था।
2025 में किशनगंज सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला है। बीजेपी ने स्वीटी सिंह को फिर से उम्मीदवार बनाया है। महागठबंधन ने कांग्रेस के मौजूदा विधायक इजहारूल हुसैन की जगह पूर्व विधायक कमहरूल होदा को उतारा है। AIMIM से शम्स आगाज और बागी उम्मीदवार इसहाक आलम भी चुनावी मैदान में हैं। कुल मिलाकर इस बार 10 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं और स्वीटी अकेली महिला उम्मीदवार हैं।
अब सवाल यह है कि पिछले चार बार कड़ी चुनौती झेलने के बाद स्वीटी सिंह 2025 में किशनगंज सीट से जीत दर्ज कर पाएंगी या नहीं। यदि वह जीतती हैं तो यह उनके लिए और बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण जीत साबित होगी।




