ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में गरमाया माहौल: जेपी नड्डा को माफी मांगनी पड़ी

ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में जारी बहस के दौरान सोमवार को राज्यसभा में तीखी तकरार देखने को मिली। बहस के बीच उस वक्त तनावपूर्ण माहौल बन गया जब भाजपा सांसद जेपी नड्डा को अपने बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को निशाने पर लेते हुए विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसे लेकर कांग्रेस सांसदों ने जोरदार विरोध जताया।
नड्डा की टिप्पणी और विरोध
जेपी नड्डा ने कहा,
“मैं खरगे जी की पीड़ा समझ सकता हूं, 11 साल से विपक्ष में बैठने के कारण इनका मेंटल बैलेंस बिगड़ गया है।”
उनके इतना कहते ही कांग्रेस सांसद तिलमिला उठे और राज्यसभा में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस नेताओं ने इस बयान को आपत्तिजनक बताया और तत्काल माफी की मांग की।
बाद में स्थिति को संभालते हुए जेपी नड्डा ने अपने शब्द वापस लिए और कहा:
“मैं अपने शब्द वापस लेता हूं। मानसिक असंतुलन नहीं, बल्कि मैं कहना चाहता था कि खरगे जी ने भावावेश में जो शब्द कहे, वो उनके व्यक्तित्व और उनकी पार्टी के स्तर के नहीं थे।”
मल्लिकार्जुन खरगे का तीखा हमला
इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर विशेष सत्र की मांग की, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला। प्रधानमंत्री में सुनने की क्षमता नहीं है तो वह इस कुर्सी पर बैठने लायक नहीं हैं।”
खरगे ने आगे कहा:
“एक दिन आएगा जब आपका अहंकार टूटेगा। प्रधानमंत्री मोदी को लोगों से गले मिलने की फुर्सत है, लेकिन विपक्ष को जवाब देने का वक्त नहीं है।”
नेहरू का उदाहरण देते हुए सरकार पर निशाना
खरगे ने साल 1962 के भारत-चीन युद्ध का जिक्र करते हुए जवाहरलाल नेहरू की मिसाल दी। उन्होंने कहा:
“जब युद्ध चल रहा था, तब नेहरू जी ने विपक्ष की मांग पर संसद का विशेष सत्र बुलाया। उन्होंने कहा था कि जनता से कुछ नहीं छिपाया जाना चाहिए। यही था हमारा लोकतंत्र।”
उन्होंने मौजूदा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि “अब न तो विशेष सत्र बुलाए जाते हैं और न ही सच्चाई सामने लाई जाती है। यहां तक कि सर्वदलीय बैठक के वक्त भी प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में व्यस्त रहते हैं।”