उत्तर प्रदेश

धर्म परिवर्तन को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, चार महीने में सूची बनाकर कार्रवाई का आदेश

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्म परिवर्तन और अनुसूचित जाति (SC) लाभ को लेकर बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि SC/ST के सभी अधिकार केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म का पालन करने वालों के लिए मान्य हैं। यदि कोई व्यक्ति अपना धर्म बदल लेता है, तो वह स्वतः ही इन विशेषाधिकारों का हकदार नहीं रहता।

जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की एकल पीठ ने कहा कि धर्म परिवर्तन के बाद भी SC/ST सुविधाओं को जारी रखना संविधान के साथ छल है।

डीएम को 4 महीने में सूची बनाने का आदेश

हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया:

  • धर्मांतरण कर चुके ऐसे लोगों की पहचान की जाए,
  • जो अभी भी SC/ST लाभ ले रहे हैं,
  • चार महीने के अंदर पूरी रिपोर्ट सौंपें,
  • दोषी पाए जाने वालों पर कानूनी कार्रवाई करें।

महाराजगंज के डीएम को विशेष निर्देश दिया गया है कि ईसाई धर्म अपनाने के बावजूद SC लाभ ले रहे लोगों की तीन महीने में जांच पूरी करें।

महाराजगंज निवासी जितेंद्र साहनी का मामला बना विवाद का कारण

यह पूरा मामला जितेंद्र साहनी नामक व्यक्ति से जुड़ा है। आरोप है कि:

  • साहनी ने ईसाई धर्म अपनाने के बाद भी SC/ST एक्ट के तहत आवेदन किया,
  • IPC 153-A और 295-A के तहत धार्मिक वैमनस्य और देवी-देवताओं का अपमान करने का केस दर्ज हुआ,
  • उन पर गरीब हिंदुओं को लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप भी लगा।

साहनी की दलील — “मुझे फंसाया गया”

साहनी ने हाई कोर्ट में कहा कि:

  • वह केवल अपनी जमीन पर “ईसा मसीह की शिक्षाओं” के प्रचार के लिए अनुमति चाहते थे,
  • उन पर लगे आरोप गलत हैं,
  • उन्हें राजनीतिक और सामाजिक कारणों से फंसाया जा रहा है।

हलफनामे में हिंदू, जांच में ईसाई — कोर्ट का कड़ा रुख

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पाया कि:

  • साहनी ने हलफनामे में खुद को हिंदू बताया,
  • लेकिन पुलिस जांच में सामने आया कि वह काफी पहले ईसाई बन चुके थे।

अदालत ने इस विरोधाभास को गंभीर धोखाधड़ी माना।

एक गवाह ने बयान दिया कि:

  • साहनी धर्म परिवर्तन के बाद पादरी के रूप में प्रचार कर रहे थे,
  • गरीब लोगों को आर्थिक सहायता का लालच देकर धर्म बदलवाने की कोशिश करते थे,
  • हिंदू आस्थाओं का मजाक उड़ाते थे।

“धर्म परिवर्तन के बाद SC पहचान खत्म” — कोर्ट

हाई कोर्ट ने संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 का हवाला देते हुए कहा:

  • SC पहचान धर्म आधारित है,
  • हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म छोड़ने पर व्यक्ति SC श्रेणी में नहीं रहता,
  • इसलिए कोई भी लाभ धर्म परिवर्तन के बाद स्वतः समाप्त हो जाता है।

“लाभ पाने के लिए धर्म बदलना संविधान के खिलाफ”

सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा:

  • धर्मांतरण यदि केवल आरक्षण या लाभ के लिए किया जाए,
  • तो यह संविधान की मूल भावना और SC समुदाय के अधिकारों के विरुद्ध है।

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