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जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जली हुई नकदी बरामद: जांच समिति ने की महाभियोग की सिफारिश

नई दिल्ली, 19 जून 2025 — दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट में तैनात जस्टिस यशवंत वर्मा को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन जजों की समिति ने जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश की है। समिति ने पाया कि उनके सरकारी आवास के स्टोर रूम में बड़ी मात्रा में नकदी, जिसमें जली और आधी जली हुई मुद्रा शामिल है, बरामद की गई थी।

क्या है मामला?

14 मार्च 2025 की रात 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के 30 तुगलक क्रिसेंट स्थित सरकारी आवास में आग लग गई थी। आग पर काबू पाने के बाद, स्टोर रूम से 500-500 रुपये के जले हुए और बिखरे हुए नोटों का एक बड़ा ढेर बरामद हुआ। यह घटनाक्रम तुरंत ही न्यायपालिका और सियासत के गलियारों में हलचल पैदा करने लगा।

जांच समिति की सख्त टिप्पणियां

तीन सदस्यीय समिति — जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं — ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए, और एक 64 पेज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।

रिपोर्ट की दो मुख्य बातें:

  1. नकदी स्टोर रूम में पाई गई, जो जस्टिस वर्मा के आवासीय परिसर का हिस्सा है।
  2. स्टोर रूम तक केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिजनों को ही प्रवेश की अनुमति थी, और वहां निगरानी भी रखी जाती थी।

जले नोटों और गवाहों के बयान ने बढ़ाई गंभीरता

  • कम से कम 10 गवाहों ने जांच समिति को बताया कि उन्होंने जले या अधजले नोट देखे थे।
  • एक गवाह ने कहा, “जैसे ही मैं स्टोर रूम में घुसा, देखा कि दाईं ओर और सामने की ओर फर्श पर 500 रुपये के नोटों का बड़ा ढेर बिखरा हुआ था। मैंने इतनी नकदी अपने जीवन में पहली बार देखी थी।”

सबूत मिटाने के आरोप

जांच में जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दिया वर्मा की संदिग्ध भूमिका सामने आई।

  • आरोप है कि कार्की ने फायरमैन को निर्देश दिया कि वे अपनी रिपोर्ट में नोटों के जलने या अगली सुबह सफाई का कोई उल्लेख न करें।
  • समिति के अनुसार, अन्य गवाहों और इलेक्ट्रॉनिक सबूतों ने उनके दावे को खारिज कर दिया।

महाभियोग की सिफारिश

जांच समिति का कहना है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि:

“इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बिना न्यायाधीश या उनके परिवार की जानकारी के वहां नहीं रखी जा सकती। जली हुई नकदी की उपस्थिति अत्यंत संदिग्ध है और इसका स्रोत स्पष्ट नहीं है।”

सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 22 मार्च को जांच समिति गठित की थी। सीजेआई संजीव खन्ना को रिपोर्ट सौंपने के बाद उन्होंने इस पर आगे की कार्यवाही शुरू करने का संकेत दिया है।

जस्टिस वर्मा का पक्ष

जस्टिस वर्मा ने अपनी सफाई में कहा है कि उनके या उनके परिवार का किसी भी नकदी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को राजनीतिक और संस्थागत साजिश करार दिया है।

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