श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ‘शाही ईदगाह’ को ‘विवादित संरचना’ कहने की मांग खारिज की

इलाहाबाद | श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े एक अहम मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया। अदालत ने उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें अपील की गई थी कि आगे की न्यायिक कार्यवाही में “शाही ईदगाह मस्जिद” के स्थान पर “विवादित संरचना” शब्द का प्रयोग किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मौजूदा स्थिति में इस तरह के शब्दों में बदलाव की आवश्यकता नहीं है और वाद की अंतिम सुनवाई तक ‘शाही ईदगाह मस्जिद’ ही प्रयुक्त किया जाएगा।
किसने दायर किया था आवेदन?
यह आवेदन अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दाखिल किया गया था। वे उन वादकारियों में से हैं जिन्होंने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर से अतिक्रमण हटाने की मांग को लेकर मूल याचिका दाखिल की थी।
इस आवेदन का समर्थन अन्य कई वादकारियों और पक्षकारों ने भी किया था, लेकिन अदालत ने कहा कि इस स्तर पर शब्दों में बदलाव न्यायोचित नहीं है।
क्या है मामला?
विवाद मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उससे सटी शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि मस्जिद जन्मभूमि परिसर पर अतिक्रमण कर बनाई गई है, जबकि मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है।
वर्तमान में 18 मुकदमे इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं, जिन्हें पहले अलग-अलग मथुरा की अदालतों में दाखिल किया गया था। मई 2023 में हाईकोर्ट ने सभी मुकदमों को एक साथ जोड़कर अपने पास स्थानांतरित कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
हाईकोर्ट के इस आदेश को लेकर मस्जिद प्रबंधन समिति और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
- जनवरी 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा शाही ईदगाह परिसर का सर्वे कराने के आदेश पर स्थगनादेश (Stay Order) जारी कर दिया था, जो अभी भी प्रभावी है।
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने अपने फैसले में कहा:
इस आदेश से स्पष्ट है कि कोर्ट फिलहाल किसी भी तरह के प्रतीकात्मक या भाषाई बदलाव को मंजूरी नहीं देना चाहता और वाद की गंभीरता को देखते हुए अंतिम निर्णय तक प्रतीक्षा करने की बात कह रहा है। इससे जुड़े सभी पक्ष अब हाईकोर्ट में लंबित सुनवाई की दिशा में आगे बढ़ेंगे।