2027 चुनाव की तैयारी में जुटा संघ, पश्चिमी यूपी में प्रचारकों की जिम्मेदारियों में बड़ा फेरबदल

लखनऊ/ उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अभी से कमर कस ली है। खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर फोकस करते हुए संघ ने प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव रणनीतिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मजबूत करने और संघ की सामाजिक-राजनीतिक पकड़ को और गहरा करने के उद्देश्य से किया गया है।
संघ की नजर जाट-मुस्लिम बहुल इलाकों पर
पश्चिमी यूपी में जाट और मुस्लिम आबादी का खासा प्रभाव है, जहां राष्ट्रीय लोकदल (RLD) की मजबूत पकड़ रही है। हालांकि RLD प्रमुख जयंत चौधरी फिलहाल NDA का हिस्सा हैं, फिर भी संघ इस क्षेत्र में अपनी स्वतंत्र मौजूदगी को और मजबूत करना चाहता है। इसी रणनीति के तहत अब प्रचारकों को जिला स्तर पर जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं
प्रचारकों की नई नियुक्तियां ऐसे हैं:
प्रचारक | नई जिम्मेदारी (विभाग) |
---|---|
अतुल | गाजियाबाद |
आशुतोष | सहारनपुर |
रोहित | आगरा |
सुधांशु | बदायूं |
अखिलेश | चंदननगर |
चिरंजीवी | नोएडा |
राकेश | हरिद्वार |
रवि प्रकाश | शाहजहांपुर |
कृष्णा | बरेली |
कुलदीप | एटा |
गोविंद | हरिगढ़ |
पारस | मथुरा |
देशराज (सह प्रचारक) | बुलंदशहर |
ललित शंकर (सह प्रचारक) | हरिद्वार |
नमन (सह प्रचारक) | मेरठ |
संघ की रणनीति क्या है?
संघ के इस बदलाव को आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है। प्रचारकों की नियुक्ति का मकसद:
- जिलेवार BJP की सांगठनिक जमीनी मजबूती सुनिश्चित करना
- विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच पहुंच बढ़ाना
- सामाजिक समरसता अभियान, ग्राम विकास, शिक्षा और राष्ट्रवाद पर आधारित कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों से जुड़ना
- RLD और विपक्षी दलों के प्रभाव को धीरे-धीरे कमजोर करना
क्या बोले संगठन से जुड़े सूत्र?
संघ से जुड़े सूत्रों की मानें तो, “हर जिले में प्रचारकों को दी गई नई जिम्मेदारियों का मकसद है—संगठनात्मक मजबूती, वैचारिक विस्तार और स्थानीय मुद्दों पर भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार करना।” इसके लिए सम्पर्क अभियान, बौद्धिक वर्ग, शाखा विस्तार जैसे कार्यक्रमों की योजना तैयार की जा रही है।