इटावा में ‘केदारेश्वर मंदिर’ पर विवाद: तीर्थ पुरोहितों ने दी आंदोलन की चेतावनी, अखिलेश यादव पर उठाए सवाल

इटावा | उत्तर प्रदेश के इटावा में बन रहे ‘केदारेश्वर मंदिर’ को लेकर विवाद गहरा गया है। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों ने इस मंदिर के निर्माण का विरोध करते हुए इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया है। चारधाम महापंचायत और केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहितों ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ विरोध की चेतावनी दी है।
केदारनाथ की प्रतिकृति का आरोप
यह विवाद इटावा में बन रहे मंदिर के आकार, नाम और ढांचे को लेकर उठ रहा है। केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने कहा कि केदारनाथ मंदिर हिंदुओं के लिए न केवल एक धार्मिक स्थल, बल्कि एक आस्था का केंद्र है। उन्होंने आरोप लगाया कि इटावा में बन रहे मंदिर का स्वरूप केदारनाथ मंदिर की हूबहू प्रतिकृति है, जिसमें नाम, ढांचा और रंग बिल्कुल वही हैं। उन्होंने इसे उत्तराखंड की आस्था और परंपराओं का अपमान करार दिया।
संतोष त्रिवेदी ने कहा:
“केदारनाथ धाम का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। उसी स्वरूप में और नाम से किसी और राज्य में मंदिर का निर्माण धार्मिक परंपराओं और श्रद्धालुओं की भावनाओं का अपमान है।”
चारधाम महापंचायत की चेतावनी
चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष संतोष त्रिवेदी ने कहा कि उत्तराखंड की कैबिनेट पहले ही ऐसे प्रतीकात्मक निर्माणों पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है। उन्होंने कहा कि इटावा में बने केदारेश्वर मंदिर के निर्माण कार्य को लेकर गंभीर कार्रवाई नहीं की गई तो वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के आवास के बाहर प्रदर्शन करेंगे।
बीकेटीसी की चुप्पी पर सवाल
तीर्थ पुरोहितों ने बद्री-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बीकेटीसी का सारा ध्यान कमाई पर है, जबकि यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीकेटीसी इस गंभीर धार्मिक मुद्दे पर निष्क्रिय बनी हुई है।
योगी सरकार से मांग
तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि इटावा में बन रहे मंदिर का नाम, डिज़ाइन और रंग-रूप तुरंत बदला जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो उत्तराखंड और पूरे देश में बड़ा आंदोलन किया जाएगा।