Bihar SIR पर संसद से सड़क तक घमासान! विपक्ष बोला- गरीबों और प्रवासियों को किया जा रहा टारगेट

पटना – बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर देश की सियासत गरमा गई है। संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा छाया रहा, वहीं संसद के बाहर भी विपक्षी दलों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग का यह कदम गरीबों, दलितों और प्रवासी मजदूरों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है।
संसद के बाहर ‘SIR वापस लो’ के नारे
आज संसद भवन के बाहर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत INDIA गठबंधन के कई सांसदों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान अखिलेश यादव ने कांग्रेस सांसद को गले में काला मफलर पहनाकर विरोध जताया। कार्यकर्ता लगातार नारे लगा रहे थे – “एसआईआर वापस लो! लोकतंत्र बचाओ!”
विपक्ष की दो टूक मांगें:
- SIR पर संसद में विस्तार से चर्चा कराई जाए
- इस निर्णय की न्यायिक जांच हो
- देशव्यापी लागू करने की योजना तत्काल रोकी जाए
आयोग की दलील
चुनाव आयोग का कहना है कि यह विशेष पुनरीक्षण अवैध प्रवासियों की पहचान और मतदाता सूची की सफाई के लिए जरूरी है। आयोग का यह भी दावा है कि इससे निष्पक्ष चुनाव कराने में मदद मिलेगी।
सूत्रों के मुताबिक, बिहार में इस मॉडल की सफलता के बाद पूरे देश में इसे लागू करने की योजना है।
विपक्ष ने पहलगाम हमले पर भी मांगी चर्चा
इसी बीच विपक्ष ने पहलगाम आतंकी हमले पर भी चर्चा की मांग की। विपक्ष का कहना है कि देश की सुरक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर सरकार चर्चा से भाग रही है।
सरकार ने विपक्ष की मांग आंशिक रूप से मानते हुए अगले सप्ताह लोकसभा में 16 घंटे और राज्यसभा में 9 घंटे की चर्चा का वादा किया है।
क्यों है विवाद?
- गरीबों के पास अक्सर आधार या दस्तावेज नहीं होते, जिससे वे मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं
- प्रवासी मजदूरों के स्थायी पते नहीं होने से उनकी वोटर पहचान खतरे में पड़ सकती है
- विपक्ष का दावा है कि यह कदम सांप्रदायिक और वर्ग आधारित भेदभाव को बढ़ावा देगा