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ICMR का खुलासा: युवाओं की अचानक मौत के पीछे वैक्सीन नहीं, जेपी नड्डा ने संसद में दी जानकारी

नई दिल्ली | केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि कोविड-19 वैक्सीन का युवाओं की अचानक मौत से कोई सीधा संबंध नहीं है। उन्होंने यह बयान शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसदों अरविंद गणपत सावंत और संजय उत्तमराव देशमुख द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में दिया। सवाल में पूछा गया था कि क्या पिछले पांच वर्षों में हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामलों में वृद्धि हुई है और इसके पीछे क्या कारण हैं?

जेपी नड्डा ने दो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने इस विषय पर स्टडी कराई है।

क्या कहती है ICMR की स्टडी?
ICMR के अंतर्गत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) द्वारा 18-45 वर्ष के आयु वर्ग में की गई मल्टीसेंटर केस-कंट्रोल स्टडी के मुताबिक, कोविड वैक्सीनेशन से मौत का खतरा नहीं बढ़ा, बल्कि दोनों डोज लेने वालों में मृत्यु की आशंका काफी कम पाई गई।

स्टडी में 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों से 729 अचानक मौत के मामलों और 2916 कंट्रोल (स्वस्थ व्यक्ति) को शामिल किया गया। जिन लोगों ने हाल ही में शराब, नशीले पदार्थ का सेवन किया, तीव्र शारीरिक गतिविधि की या जिनके परिवार में अचानक मौत का इतिहास था, उनमें जोखिम अधिक था।

दूसरा अध्ययन क्या कहता है?
AIIMS और ICMR द्वारा एक और स्टडी चल रही है, जिसका नाम है — Establishing the cause in sudden unexplained deaths in young. इसका उद्देश्य युवाओं में अचानक मौत के पीछे के आम कारणों का पता लगाना है।

इस स्टडी के शुरुआती निष्कर्षों में सामने आया कि हार्ट अटैक (Myocardial Infarction) अभी भी युवाओं में मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। कोविड से पहले और बाद की तुलना में मृत्यु के कारणों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया है।

नड्डा का निष्कर्ष
जेपी नड्डा ने संसद में यह भी कहा कि युवाओं की अचानक मौतों के पीछे कोविड वैक्सीनेशन नहीं बल्कि असंतुलित जीवनशैली, पहले से मौजूद बीमारियां और जोखिम भरे व्यवहार ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने बताया कि सरकार इस विषय में जनजागरूकता बढ़ाने पर भी काम कर रही है।

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