पुलिस की बड़ी लापरवाही: मरे हुए भाई के वारंट पर ज़िंदा शोहेब को भेजा जेल

यूपी। उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई है, जहां एक निर्दोष युवक को उसके मृत भाई के नाम पर जेल भेज दिया गया। मामला इतना चौंकाने वाला है कि अब पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
दरअसल, मोहम्मद सोहेल खां के नाम 9 साल पुराना गैर-जमानती वारंट था, लेकिन वह 8 साल पहले यानी 2017 में ही मौत के आगोश में समा चुका था। बावजूद इसके, 26 जुलाई 2025 को पुलिस ने उसके छोटे भाई शोहेब अहमद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जो पूरी तरह निर्दोष है और उसका उस केस से कोई लेना-देना ही नहीं है।
शोहेब ने कोर्ट से मांगी इंसाफ की भीख
पुलिस द्वारा मरे हुए व्यक्ति की जगह जिंदा भाई को रिमांड पर जेल भेजे जाने के बाद, शोहेब ने कोर्ट में अर्जी लगाई और कहा कि,
“जिस मुकदमे में मुझे जेल भेजा गया, उसमें मेरा नाम तक नहीं है। वारंट मेरे भाई मोहम्मद सोहेल खां के नाम था, जिसकी 30 मार्च 2017 को मौत हो चुकी है।”
शोहेब के पास सरकारी मृत्यु प्रमाणपत्र भी था, लेकिन पुलिस ने जांच किए बिना ही गलत व्यक्ति को पकड़ लिया।
कोर्ट का हस्तक्षेप और चौकी प्रभारी को नोटिस
जब मामला प्रथम अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पल्लवी सिंह के सामने पहुंचा, तो उन्होंने शोहेब की बात सुनने के बाद 28 जुलाई को उसे रिहा करने का आदेश दिया और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार नारायणपुर चौकी प्रभारी अजय कुमार मिश्रा को नोटिस जारी कर तलब किया।
पुलिस ने दो लोगों को भेजा जेल, एक था गलत
इस केस में नारायणपुर चौकी इंचार्ज अजय कुमार मिश्रा ने रसूलागंज निवासी मोहम्मद सोहेल खां और मिल्कीपुर के शहजादे को 26 जुलाई को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। बाद में पता चला कि मोहम्मद सोहेल खां की जगह गलती से उसके भाई शोहेब अहमद को ही गिरफ्तार कर लिया गया।
SSP ने दिए जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए मिर्ज़ापुर के एसएसपी सोमेन बर्मा ने जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच क्षेत्राधिकारी चुनार मंजरी राव को सौंपी गई है। जांच के बाद दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही जा रही है।
सवाल खड़े करती है ये लापरवाही
- क्या बिना जांच के पुलिस किसी को भी पकड़कर जेल भेज सकती है?
- मृतक की पहचान के लिए क्या कोई प्रोसेस नहीं है?
- अगर कोर्ट में शोहेब खुद को निर्दोष साबित न करता तो क्या वह ऐसे ही सजा काटता?