पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, अनुच्छेद 370 हटने के समय थे J&K के गवर्नर

दिल्ली | जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय जैसे राज्यों के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक का मंगलवार को दिल्ली में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे और दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। मंगलवार दोपहर 1:10 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। वे 79 वर्ष के थे।
उनके निधन की पुष्टि उनके निजी सचिव केएस राणा और उनके आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल के जरिए की गई है। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, उन्हें किडनी से जुड़ी समस्या थी।
अनुच्छेद 370 हटते समय थे जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल
सत्यपाल मलिक को लोग विशेष रूप से अनुच्छेद 370 और 35A हटाए जाने के दौरान जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में याद करते हैं। जब राज्य को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया, तब वे वहां पहले उपराज्यपाल बने। वे अपने कार्यकाल के दौरान सरकार के कई फैसलों पर खुलकर बोले और कृषि आंदोलन, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए जाने गए।
राजनीतिक सफर: छात्र नेता से राज्यपाल तक
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। उन्होंने मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी की डिग्री हासिल की। 1968-69 में वे छात्र संघ अध्यक्ष बने।
- 1974 में पहली बार यूपी विधानसभा के सदस्य चुने गए।
- 1980 से 1989 तक राज्यसभा सदस्य रहे।
- 1989 में जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने।
- 1996 में सपा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए।
- 2012 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।
अपने लंबे राजनीतिक करियर में वे भारतीय क्रांति दल, कांग्रेस, जनता दल, सपा और भाजपा जैसे कई दलों से जुड़े रहे।
राज्यपाल के रूप में कार्यकाल
- बिहार: सितंबर 2017 – अगस्त 2018
- ओडिशा (प्रभारी): मार्च 2018 – अगस्त 2018
- जम्मू-कश्मीर: अगस्त 2018 – अक्टूबर 2019
- गोवा: नवंबर 2019 – अगस्त 2020
- मेघालय: अगस्त 2020 – अक्टूबर 2022
सत्यपाल मलिक के निधन पर नेताओं की प्रतिक्रियाएं
अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष):
“गोवा, बिहार, मेघालय और जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे श्री सत्यपाल मलिक जी का निधन, अत्यंत दुःखद! ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।”
राकेश टिकैत (BKU नेता):
“ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन की दुखद सूचना मिली। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।”
केसी त्यागी (JDU नेता):
“हमने साथ राजनीति शुरू की थी। उनके जाने से पश्चिमी यूपी की एक बड़ी आवाज़ चली गई।”
तारिक अनवर (कांग्रेस):
“उनका जीवन स्पष्टवादिता और सिद्धांतों से भरा रहा। किसानों और लोकतंत्र के पक्ष में खुलकर बोले।”
बृजेंद्र सिंह (कांग्रेस):
“गाँव और किसान की जो आवाज़ उन्होंने बुलंद की, समाज उसे कभी नहीं भूलेगा।”