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मोहन भागवत ने मनाया रक्षाबंधन, तिब्बती बहनों से बंधवाया राखी

नई दिल्ली / देशभर में भाई-बहन के स्नेह का पावन पर्व रक्षाबंधन पूरे जोश और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और इस पर्व को आत्मीयता के साथ मनाया।

मोहन भागवत ने मनाया रक्षाबंधन, तिब्बती बहनों से बंधवाया राखी

नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने रक्षाबंधन के अवसर पर भारत-तिब्बत सहयोग मंच और क्षेत्रीय तिब्बती महिला संघ की बहनों से राखी बंधवाई
इस दौरान करीब 30 से अधिक महिलाओं ने उन्हें राखी बांधी और भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के इस पवित्र बंधन का उत्सव मनाया।

🎙️ संघ के सूत्रों के अनुसार, यह परंपरा पिछले कई वर्षों से निभाई जा रही है, जहां भारत-तिब्बत सहयोग आंदोलन की महिलाएं संघ प्रमुख को राखी बांधती हैं।

राखी बंधवाने के बाद मोहन भागवत ने बहनों को मिठाई भेंट कर आशीर्वाद दिया और आपसी भाईचारे और संस्कृति की रक्षा का संदेश दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी देशवासियों को बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर देशवासियों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं।

“सभी देशवासियों को रक्षाबंधन की अनेकानेक शुभकामनाएं।”

उन्होंने इस पर्व को भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक बताया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस अवसर पर शुभकामनाएं दीं और देशवासियों से आग्रह किया कि:

“हम इस अवसर पर एक समृद्ध, सुरक्षित और समावेशी भारत के निर्माण का संकल्प लें, जहां प्रत्येक महिला सुरक्षित महसूस करे।”

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार, स्नेह और सुरक्षा के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इस दिन बहनें भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हैं।

इस पर्व का धार्मिक, सामाजिक और पौराणिक महत्व भी है, जो भारतीय संस्कृति की आत्मा को दर्शाता है।

रक्षाबंधन केवल एक पारंपरिक पर्व नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता, नारी सम्मान, और पारिवारिक मूल्यों को जीवंत करने का माध्यम है। देशभर के लोगों ने आज इसे उल्लास से मनाकर एक बार फिर साबित कर दिया कि भारतीय संस्कृति में रिश्तों की डोर बेहद मजबूत और पवित्र होती है।

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