छत्तीसगढ़ में शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन

रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ के आदिवासी नायकों और नायिकाओं के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान और बलिदान को समर्पित है।
पीएम मोदी ने कहा कि संग्रहालय का उद्देश्य छत्तीसगढ़ और देश के आदिवासी समुदायों के अदम्य साहस, बलिदान और देशभक्ति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि इस संग्रहालय में दर्शक डिजिटल और इमर्सिव अनुभव के माध्यम से आदिवासी नायकों के संघर्ष और उनके योगदान को समझ सकते हैं।
संग्रहालय की विशेषताएँ
– यह संग्रहालय नवा रायपुर अटल नगर में करीब 10 एकड़ क्षेत्र में बना है।
– संग्रहालय में 16 अलग-अलग दीर्घाएँ हैं, जिनमें 650 मूर्तियाँ, डिजिटल कथाएँ और सांस्कृतिक प्रदर्शनियां शामिल हैं।
– संग्रहालय में हल्बा क्रांति, सरगुजा क्रांति, भोपालपट्टनम क्रांति, पारलकोट क्रांति, तारापुर क्रांति, मेरीया क्रांति, लिंगागिरी क्रांति, मुरिया क्रांति, गुंडाधुर एवं लाल कालिंद्र सिंह के नेतृत्व में भुमकल क्रांति जैसी प्रमुख जनजातीय विद्रोहों को प्रदर्शित किया गया है।
– महिलाओं के नेतृत्व वाले आंदोलनों को भी महत्व दिया गया है, जैसे कि 1878 की रानी चो-रिस क्रांति।
– शहीद वीर नारायण सिंह और 1857 के विद्रोह के दौरान उनके ब्रिटिश विरोधी संघर्ष और बलिदान को भी दर्शाया गया है।
– झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह में आदिवासी समुदायों की महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलनों में भागीदारी को दिखाया गया है।
आदिवासी नायकों की वंशावली और जागरूकता
छत्तीसगढ़ आदिम जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह की वंशावली रखी गई है। इसके अलावा अन्य आदिवासी नायकों की वंशावली भी तैयार की जा रही है।
मोदी सरकार 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय विकसित कर रही है, जिनमें से अब तक चार बन चुके हैं:
- रायपुर (छत्तीसगढ़)
- रांची (झारखंड)
- छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
- जबलपुर (मध्य प्रदेश)
संग्रहालय का उद्देश्य छत्तीसगढ़ और देश में आदिवासी समुदायों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को उजागर करना और आने वाली पीढ़ियों में इस पर जागरूकता फैलाना है।


