उत्तर प्रदेश

दुष्कर्म पीड़िताओं के गर्भपात में देरी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, स्वतः संज्ञान लेकर सुओ मोटो याचिका दर्ज

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के गर्भपात से जुड़े मामलों में हो रही अनावश्यक देरी को गंभीर मुद्दा मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इसे महज प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि पीड़िताओं के मौलिक अधिकारों से जुड़ा गंभीर प्रश्न करार दिया है। इसी के तहत हाईकोर्ट ने इस विषय पर सुओ मोटो जनहित याचिका दर्ज कर विस्तृत सुनवाई शुरू की है।

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि दुष्कर्म पीड़िताओं के गर्भपात मामलों में कई स्तरों पर प्रक्रियात्मक अड़चनें सामने आती हैं। मेडिकल बोर्ड के गठन में देरी, प्रशासनिक अनुमति में विलंब और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव के कारण पीड़िताओं को समय पर जरूरी चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती। इसका सीधा असर उनके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्थिति पर भी पड़ता है, जो बेहद चिंताजनक है।

संवेदनशील मामलों में देरी पर नाराजगी

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे संवेदनशील मामलों में थोड़ी सी भी देरी पीड़िता के लिए गंभीर और अपरिवर्तनीय परिणाम ला सकती है। अदालत ने कहा कि गर्भपात से जुड़े मामलों में समय का अत्यधिक महत्व होता है, लेकिन व्यवहार में प्रक्रियाएं इतनी जटिल हैं कि पीड़िताओं को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कोर्ट ने इसे मानवीय दृष्टिकोण की कमी बताया।

अधिकारियों को संवेदनशील बनाने की जरूरत

खंडपीठ ने कहा कि केवल कानूनी औपचारिकताओं का पालन करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों और चिकित्सा तंत्र को भी ऐसे मामलों में संवेदनशील बनने की आवश्यकता है। कोर्ट ने संकेत दिया कि भविष्य में ऐसे स्पष्ट और प्रभावी दिशानिर्देश तय किए जाने चाहिए, ताकि दुष्कर्म पीड़िताओं को गर्भपात के लिए अनावश्यक कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं का सामना न करना पड़े।

न्याय मित्र नियुक्त, अगली सुनवाई 13 जनवरी को

मामले में अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता महिमा मौर्य को न्याय मित्र नियुक्त किया गया है। न्याय मित्र कोर्ट के समक्ष तथ्यात्मक स्थिति, कानूनी प्रावधानों और सुधारात्मक सुझावों को प्रस्तुत करेंगे। हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी को तय की है।

कोर्ट को उम्मीद है कि इस पहल के जरिए दुष्कर्म पीड़िताओं के गर्भपात मामलों में समयबद्ध, संवेदनशील और मानवीय प्रक्रिया सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।

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