बटला हाउस डिमोलिशन केस: हाई कोर्ट ने आदेश रखा सुरक्षित, जनहित याचिका पर उठे सवाल
नई दिल्ली – बटला हाउस डिमोलिशन मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए (दिल्ली विकास प्राधिकरण) द्वारा जारी मकान गिराने के नोटिसों के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। याचिका में मांग की गई थी कि डीडीए की ओर से प्रस्तावित डिमोलिशन को रोका जाए।

डीडीए ने याचिका का किया विरोध
सुनवाई के दौरान डीडीए ने स्पष्ट रूप से याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि डिमोलिशन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में किया जा रहा है। डीडीए की ओर से यह भी कहा गया कि प्रभावित मकान खसरा नंबर-279 की सीमा के अंतर्गत आते हैं, लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कई मकान इस दायरे से बाहर हैं और फिर भी नोटिस भेजे गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने अदालत को बताया कि डीडीए ने जेनरिक नोटिस भेजे हैं, जो कि गलत है।
याचिका जनहित में नहीं: कोर्ट की टिप्पणी
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका की प्रकृति पर सवाल उठाए। कोर्ट का मानना था कि इस याचिका को जनहित याचिका के रूप में नहीं सुना जा सकता, क्योंकि जिन लोगों को सीधे नुकसान हुआ है, उन्होंने पहले से ही व्यक्तिगत याचिकाएं दाखिल की हैं। कोर्ट ने कहा:
“अगर डीडीए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहा है, तो संबंधित पक्ष को सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए।”
कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी
आम आदमी पार्टी नेता अमानतुल्लाह खान की ओर से दायर याचिका को भी हाई कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह एक व्यक्तिगत मामला है, जिसे संबंधित प्रभावित व्यक्ति द्वारा उठाया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि:
“हम संरक्षण (Stay) का कोई जनरल ऑर्डर नहीं दे सकते, जब तक कि प्रभावित पक्ष सीधे हमारे सामने न आए।”
3 दिन में नई रिट याचिका दाखिल करने की सलाह
हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सलाह दी कि वे जनहित याचिका वापस लें और 3 दिनों के भीतर एक नई रिट याचिका दायर करें ताकि मामले को उचित रूप में सुना जा सके। साथ ही अदालत ने यह स्पष्ट किया कि जब तक नई याचिका नहीं आती, तब तक किसी प्रकार की तोड़फोड़ रोकने का आदेश कोर्ट नहीं दे सकता।