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ईरान-इजरायल जंग के बीच श्रीनगर में छात्रों के माता-पिता की गुहार – “बच्चों को जल्द लाए सरकार”

तीसरे दिन भी अभिभावक सड़कों पर, बोले – युद्धग्रस्त इलाकों में सुरक्षित नहीं हमारे बच्चे, पीएम मोदी से मदद की अपील

श्रीनगर, 17 जून – ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध ने सिर्फ दोनों देशों को नहीं, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर जम्मू-कश्मीर में बैठे अभिभावकों को भी बेचैन कर दिया है। ईरान के तेहरान और कुम शहरों में फंसे भारतीय छात्र-छात्राओं को लेकर मंगलवार को श्रीनगर के प्रेस कॉलोनी में परिजनों ने तीसरे दिन भी प्रदर्शन किया। इनका कहना है कि उनके बच्चे अब भी खतरे में हैं, सरकार को उन्हें जल्द से जल्द भारत वापस लाना चाहिए।

सुलेमान भट, जिनकी पोती मुश्ताक शहीद बिहिश्ती यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है, ने बताया कि उनकी पोती को तेहरान से कुम भेजा गया है, लेकिन युद्ध के माहौल में वहां भी खतरा कम नहीं हुआ। भट ने भावुक होते हुए कहा, “हमारे बच्चों की जान खतरे में है। उन्हें घर लाने के सिवा अब और कोई विकल्प नहीं बचा।”

‘ज़ायरीन भी फंसे हुए हैं’

सुलेमान भट ने यह भी बताया कि छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में कश्मीर से ज़ियारत के लिए गए तीर्थयात्री (ज़ायरीन) भी ईरान में फंसे हुए हैं। वे “कश्मीर सिविल सोसाइटी” नाम के संगठन से जुड़े हैं और लगातार सरकार से अपील कर रहे हैं कि छात्रों और तीर्थयात्रियों को एक साथ निकाला जाए।

‘बेटी सुरक्षित नहीं, जल्द लाओ सरकार’

एक अन्य अभिभावक अहमद साबिर, जिनकी बेटी तेहरान मेडिकल कॉलेज में पढ़ती है, ने कहा कि भले ही उनकी बेटी को ‘सुरक्षित ज़ोन’ में शिफ्ट किया गया है, लेकिन जंग के माहौल में कोई जगह सुरक्षित नहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधी अपील करते हुए कहा, “हम बस चाहते हैं कि हमारे बच्चों को जल्द से जल्द भारत लाया जाए। हमें सिर्फ उनके सकुशल लौटने की खबर चाहिए।”

सरकार की पहल, लेकिन डर कायम

गौरतलब है कि भारत सरकार ने तेहरान से भारतीय छात्रों को निकालने का ऑपरेशन शुरू किया है और अब तक 110 मेडिकल छात्र निकाले जा चुके हैं। लेकिन श्रीनगर में प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों का कहना है कि अभी भी सैकड़ों छात्र और ज़ायरीन फंसे हुए हैं, जिन्हें जल्द निकालने की जरूरत है।

जंग का असर अब घर-घर तक

ईरान-इजरायल युद्ध पांचवें दिन में पहुंच चुका है और हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में विदेश में पढ़ रहे या यात्रा कर रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा अब बड़ा सवाल बन चुकी है। श्रीनगर के माता-पिता की उम्मीदें अब सिर्फ भारत सरकार और प्रधानमंत्री की तरफ टिकी हैं।

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