Uncategorized

आदित्य ठाकरे का BJP पर हमला, बोले- मराठी संस्कृति को दबाया जा रहा

महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाए जाने की योजना को लेकर सियासत तेज हो गई है। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस फैसले पर बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि यह मराठी संस्कृति को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश है।

आदित्य ठाकरे ने क्या कहा?

आदित्य ठाकरे ने सोशल मीडिया पोस्ट के ज़रिए कहा:

“हमें किसी भाषा से आपत्ति नहीं है, लेकिन जब कोई भाषा थोपी जाती है, तब उसका विरोध ज़रूरी है। मराठी मानूस सड़कों पर आक्रोशित है, आंदोलन कर रहा है। क्या यह नहीं दिखाता कि बीजेपी किस तरह मराठी-विरोधी खेल खेल रही है?”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने चुपचाप ‘मराठी रंगभूमि दालन’ को रद्द कर दिया और मराठी भाषा भवन की अहमियत भी घटाने की कोशिश की।

राज ठाकरे भी कूदे मैदान में

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“हम हिन्दू हैं, हिंदी नहीं। महाराष्ट्र में केवल मराठी और अंग्रेजी पढ़ाई जानी चाहिए। हिंदी थोपने की कोशिश को महाराष्ट्र की जनता स्वीकार नहीं करेगी।”

विवाद की वजह क्या है?

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने कक्षा 1 से 5 तक मराठी और अंग्रेजी के साथ हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा के तौर पर लागू करने की बात कही थी। भारी विरोध के बाद सरकार ने संशोधित आदेश (GR) जारी कर कहा कि छात्र तीसरी भाषा के रूप में कोई भी भारतीय भाषा चुन सकते हैं।

लेकिन विरोध करने वालों का आरोप है कि यह सिर्फ “कागजी बदलाव” है। असल में हिंदी को ही प्रोत्साहित किया जा रहा है, क्योंकि बाकी भारतीय भाषाओं के शिक्षक कम हैं।

सीएम देवेंद्र फडणवीस का जवाब

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 18 जून को बयान देते हुए कहा:

“हिंदी अनिवार्य नहीं है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत कोई भी भारतीय भाषा तीसरी भाषा बन सकती है। लेकिन हिंदी को चुनने में कुछ भी गलत नहीं है, क्योंकि यह देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि:

  • मराठी हमारी मातृभाषा है और रहेगी।
  • हिंदी को प्रोत्साहन सिर्फ इसलिए, क्योंकि हिंदी शिक्षक अधिक उपलब्ध हैं।

क्या है राजनीतिक अर्थ?

राज्य में बीजेपी की ओर से हिंदी को बढ़ावा देना मराठी अस्मिता से जुड़े दलों को अखर रहा है।
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, दोनों के निशाने पर बीजेपी की ‘भाषा नीति’ है।
वहीं, बीजेपी इसे राष्ट्रीय एकता और बहुभाषी दक्षता का हिस्सा बता रही है।

Related Articles

Back to top button