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दिल्ली में भारत-चीन SR लेवल वार्ता 19 अगस्त को, वांग यी और जयशंकर आमने-सामने

भारत और चीन के बीच LAC विवाद को सुलझाने के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव (SR) स्तर की दूसरी बैठक अब दिल्ली में होने जा रही है। यह बैठक 19 अगस्त को हैदराबाद हाउस में होगी, जिसमें चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर शामिल होंगे। बैठक के बाद वांग यी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे।

कज़ान शिखर सम्मेलन के बाद बढ़ी उम्मीदें

यह वार्ता ऐसे समय हो रही है जब कज़ान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद सीमा पर तनाव काफी हद तक कम हुआ है। उस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात ने गतिरोध खत्म करने की दिशा में निर्णायक मोड़ दिया।

विवाद कैसे सुलझाने की शुरुआत हुई?

पूर्वी लद्दाख में 2020 से जारी तनाव को खत्म करने के लिए भारत और चीन ने अक्टूबर 2024 में बड़ा फैसला लिया। डेमचोक और डेपसांग में डिसएंगेजमेंट हुआ और पैंगोंग, गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स जैसे चारों बड़े विवादित प्वाइंट्स से भी सेनाएं पीछे हटीं। इन इलाकों में बफर ज़ोन बना दिए गए हैं।

21 अक्टूबर 2024 को पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद तय हुआ कि SR स्तर पर बातचीत होगी। पहली बैठक दिसंबर 2024 में बीजिंग में हुई, जिसमें एनएसए अजीत डोभाल ने भारत का नेतृत्व किया। अब दूसरी बैठक दिल्ली में होने जा रही है।

तीन बड़े चेहरे: मोदी, जयशंकर और डोभाल

इस प्रक्रिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल की अहम भूमिका रही। मोदी ने सेना को पूरी छूट दी, साथ ही चीन पर आर्थिक दबाव बनाया। जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष मजबूती से रखा, जबकि डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री के साथ सीधे बातचीत कर वार्ता को आगे बढ़ाया।

सेना का दबदबा और रणनीति

विवाद के दौरान भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में अपनी मजबूत स्थिति दिखाई। दक्षिण पैंगोंग की चोटियों पर कब्जा और भारी हथियारों की तेज तैनाती कर चीन को संदेश दिया गया कि भारत अब 1962 वाला नहीं है। सेना की इस रणनीति ने चीन को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर किया।

अब क्या उम्मीदें हैं?

कज़ान शिखर सम्मेलन के बाद से LAC पर हालात शांत हैं और दोनों देशों की सेनाएं अपने-अपने इलाके में पेट्रोलिंग कर रही हैं। अब दिल्ली में होने वाली इस दूसरी बैठक से उम्मीद है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख विवाद के स्थायी समाधान की दिशा में बड़ा कदम उठाएंगे।

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