झांसी में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में बड़ा घोटाला, फर्जी जोड़ों से उड़ी प्रशासन की पोल

झांसी (उत्तर प्रदेश): मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत झांसी जिले के गुरसराय में आयोजित विवाह सम्मेलन में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस आयोजन में 123 जोड़ों की शादियां कराई गई थीं, लेकिन जांच में खुलासा हुआ कि इनमें से कई “जोड़े” असल में फर्जी थे। कुछ नामों पर काल्पनिक जोड़े बनाए गए, जबकि कई पहले से शादीशुदा लोगों के नाम पर दोबारा शादी करा दी गई।
यह घोटाला न केवल योजना की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इसमें प्रशासनिक अधिकारियों और आयोजकों की मिलीभगत का भी संकेत मिलता है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत पात्र लोग ऑनलाइन आवेदन करते हैं। ये आवेदन ग्राम विकास अधिकारी (VDO) और सहायक विकास अधिकारी (समाज कल्याण) के पास जाते हैं, जिनकी जिम्मेदारी होती है कि वे मैदानी स्तर पर दस्तावेजों का सत्यापन करें।
लेकिन गुरसराय के मामले में न तो किसी अधिकारी ने फील्ड विजिट की, न ही आवेदकों की असली पहचान की जांच की गई। फाइलों में सिर्फ “टिक मार्क” लगाकर उन्हें मंजूर कर लिया गया।
“सिस्टम ऑटो-पास” में चला सारा खेल
जब ये फाइलें आगे ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO) के पास पहुंचीं, तो उम्मीद थी कि वहां अंतिम जांच होगी, लेकिन जांच के बजाय उन्हें सीधे समाज कल्याण विभाग को भेज दिया गया।
विभाग में भी अधिकांश फाइलें “ऑटो-अप्रूव्ड” कर दी गईं — बिना किसी क्रॉस वेरीफिकेशन के।
“जितने जोड़े, उतना बजट” — यही बना फर्जीवाड़े का आधार
सूत्रों के मुताबिक, योजना में जोड़ों की संख्या बढ़ाने पर बजट में बढ़ोतरी होती है। इसी वजह से कई अधिकारियों और आयोजकों ने फर्जी नाम जोड़कर जोड़ों की संख्या कृत्रिम रूप से बढ़ाई।
नतीजा यह हुआ कि समारोह में कई “जोड़े” शादी के बाद मंडप से ही गायब हो गए, जबकि कुछ के नाम पर असली व्यक्ति मौजूद ही नहीं थे।
कुछ लोग तो पहले से शादीशुदा निकले, जबकि कुछ ने पैसों के लालच में दोबारा शादी कर ली।
अधिकारियों पर लापरवाही के आरोप
यह योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों की मदद के लिए शुरू की गई थी, लेकिन गुरसराय में यह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गई।
स्थानीय लोगों और सूत्रों का कहना है कि यह फर्जीवाड़ा प्रशासनिक लापरवाही और मिलीभगत का नतीजा है।
अब सवाल यह है कि इस पूरे मामले में सरकार कब और किसके खिलाफ कार्रवाई करेगी।
फिलहाल, जिलाधिकारी ने प्राथमिक जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।


