CM सिद्धारमैया की जीत पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को वरुणा विधानसभा सीट से उनकी 2023 की जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। जस्टिस विक्रम नाथ की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका पर सीएम से जवाब मांगा है।
सुनवाई की शुरुआत में अदालत इस याचिका पर विचार करने के पक्ष में नहीं थी, लेकिन तब कोर्ट को बताया गया कि एस. सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु सरकार वाला मामला—यानी चुनाव से पहले किए गए वादे ‘‘भ्रष्ट आचरण’’ हैं या नहीं—तीन जजों की बेंच में लंबित है।
इसी तरह के एक अन्य मामले में जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने आज ही नोटिस जारी किया था।
कोर्ट ने पूछा: घोषणापत्र भ्रष्ट आचरण कैसे?
सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने सवाल किया:
“चुनावी घोषणापत्र जारी करना भ्रष्ट आचरण कैसे हो सकता है?”
याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि कांग्रेस ने चुनावों के दौरान की गई गारंटियों के जरिए मतदाताओं को प्रभावित किया।
हाई कोर्ट ने याचिका पहले ही खारिज की थी
इस मामले में याचिकाकर्ता की अर्जी पहले कर्नाटक हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सिद्धारमैया ने चुनाव में अनियमितताएँ कीं और कांग्रेस पार्टी की पांच गारंटियों ने मतदाताओं को भ्रामित किया।
कांग्रेस की ‘5 गारंटियाँ’ क्या थीं?
याचिका में जिन योजनाओं को लेकर सवाल उठाए गए हैं, वे हैं:
- गृह ज्योति: 200 यूनिट मुफ्त बिजली
- गृह लक्ष्मी: परिवार की महिला मुखिया को ₹2000 प्रति माह
- अन्न भाग्य: हर BPL सदस्य को 10 किलो खाद्यान्न
- युवा निधि: बेरोजगार स्नातकों को ₹3000 और डिप्लोमा धारकों को ₹1500 प्रति माह
- शक्ति: महिलाओं के लिए राज्यभर में मुफ्त बस यात्रा
फ्रीबीज और भेदभाव का आरोप
याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसी ‘‘फ्रीबी’’ योजनाएँ भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आती हैं।
उनका दावा है कि महिला मुफ्त बस यात्रा (शक्ति योजना) पुरुषों के साथ भेदभाव है और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करती है।
उन्होंने मांग की है कि:
- सिद्धारमैया का चुनाव अमान्य घोषित किया जाए
- उन्हें 6 साल के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाए


