जनगणना 2027 की तैयारी शुरू: सुमिता मिश्रा बनीं हरियाणा की नोडल अधिकारी, सरकार ने सौंपी बड़ी जिम्मेदारी

नई दिल्ली — भारत सरकार ने आगामी जनगणना की तारीख का एलान करते हुए 1 मार्च 2027 से इसकी शुरुआत की घोषणा कर दी है। इस ऐतिहासिक और व्यापक जनगणना के लिए हरियाणा सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. सुमिता मिश्रा को राज्य की ओर से नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
डॉ. मिश्रा राज्य सरकार, भारत सरकार और जनगणना विभाग के बीच सभी आवश्यक गतिविधियों और समन्वय की जिम्मेदारी संभालेंगी।
कौन हैं डॉ. सुमिता मिश्रा?
डॉ. सुमिता मिश्रा 1990 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं।
उनका जन्म 30 जनवरी 1967 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। अर्थशास्त्र और गणित में स्नातक डिग्री के बाद उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी हासिल की। साथ ही, उन्होंने पब्लिक पॉलिसी में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है।
प्रशासनिक अनुभव से लेकर साहित्यिक योगदान तक
- हरियाणा सरकार में उन्होंने SDM, DC और HUDA प्रशासक जैसे अहम पदों पर काम किया है।
- साल 2018 से 2021 तक वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में वरिष्ठ सलाहकार रही हैं।
- उन्होंने सर्कुलर इकोनॉमी और ब्लू इकोनॉमी जैसे विषयों पर नीति निर्माण में योगदान दिया।
- 2022-23 के बीच वे महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय की कुलपति भी रहीं।
- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन अभ्यास’ जैसे सुरक्षा अभियानों में भी उन्होंने बतौर अतिरिक्त मुख्य गृह सचिव अहम भूमिका निभाई।
साहित्य से भी गहरा जुड़ाव
डॉ. मिश्रा एक प्रतिभाशाली कवयित्री भी हैं।
- उनकी प्रमुख काव्य कृतियाँ:
- “A Life of Light” (2012) – अंग्रेज़ी में 45 कविताओं का संग्रह
- “जरा सी धूप” (2013) – हिंदी में 75 कविताओं का संग्रह
- उनकी रचनाओं की प्रशंसा मशहूर कवि अशोक वाजपेयी ने भी की है।
- वे चंडीगढ़ साहित्यिक सोसायटी की संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
सम्मान और पुरस्कार
डॉ. मिश्रा को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया है:
- सम्मान पुरस्कार 2024 – चंडीगढ़ साहित्य अकादमी
- राज्य स्तरीय फ्लैगशिप पुरस्कार – ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ योजना लागू करने के लिए
- कृषि नेतृत्व पुरस्कार 2021 – बागवानी क्षेत्र में योगदान के लिए
- सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार 2016-17 – कविता संग्रह ‘वक्त के उजाले’ के लिए
जनगणना 2027: क्यों है अहम?
भारत में जनगणना हर 10 वर्षों में एक बार होती है, और यह केवल जनसंख्या की गिनती नहीं बल्कि देश की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक स्थिति का व्यापक दस्तावेज होती है।
हरियाणा जैसे तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ते राज्य में यह जनगणना नीतियों और योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण आधार तैयार करेगी।