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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सिमी पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगाए गए प्रतिबंध को पाँच साल तक बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने सिमी के पूर्व सदस्य हुमाम अहमद सिद्दीकी की याचिका को खारिज करते हुए केंद्र के निर्णय को सही ठहराया।

केंद्र ने जनवरी 2024 में बढ़ाया था प्रतिबंध

29 जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत सिमी पर प्रतिबंध को पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया था। इसके लिए एक न्यायाधिकरण का गठन भी किया गया था, जिसने इस प्रतिबंध की पुष्टि की।

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से सुनवाई के लायक नहीं माना और कहा कि प्रतिबंध के फैसले में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है। इसलिए प्रतिबंध पर कोई दखल देने की जरूरत नहीं है।

सिमी: एक विवादास्पद इतिहास

  • स्थापना: 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में हुई थी।
  • प्रारंभिक विचारधारा: जमात-ए-इस्लामी हिंद (JEIH) से प्रभावित थी।
  • 1993 में जमात से खुद को स्वतंत्र संगठन घोषित किया।
  • पहली बार प्रतिबंध: 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने लगाया था।
  • पृष्ठभूमि: अमेरिका में 9/11 हमलों के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में कदम मिलाते हुए सिमी पर बैन लगाया था।

क्यों लगाया जाता है प्रतिबंध?

सरकार के अनुसार सिमी:

  • देश की एकता, अखंडता और धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है।
  • आतंकी गतिविधियों से संबंध रखने वाले संगठनों से जुड़ा रहा है।
  • युवाओं को कट्टरपंथ की ओर उकसाता रहा है।

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