समय रैना के शो पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अदालत में पेश हुए कॉमेडियन

स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना और उनके शो “इंडियाज गॉट लेटेंट” को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को अहम सुनवाई हुई। शो में कथित अश्लील और विकलांगों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर दायर याचिकाओं पर अदालत ने तीखे सवाल उठाए। कोर्ट में रैना समेत अन्य आरोपियों की व्यक्तिगत उपस्थिति दर्ज की गई।
समय रैना के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा। यह याचिका क्योर एसएमए इंडिया फाउंडेशन द्वारा दायर की गई थी, जिसमें आरोप है कि शो में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के महंगे इलाज पर असंवेदनशील टिप्पणी की गई और विकलांग व्यक्ति का उपहास उड़ाया गया। रणवीर अल्लाहबादिया की इसी मुद्दे पर दायर याचिका को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
सुप्रीम कोर्ट का रुख और टिप्पणी
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल किसी एक कॉमेडियन या शो का नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन सामग्री में मौजूद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संवैधानिक मर्यादाओं के संतुलन का है।”बाजार में कई मुफ्त सलाहकार मौजूद हैं, लेकिन हमें संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के बीच संतुलन बनाना होगा। अगर टकराव की स्थिति आती है तो अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार) को प्राथमिकता दी जाएगी।” — न्यायमूर्ति सूर्यकांत
क्या है याचिकाकर्ताओं की मांग?
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि:
- ऐसे ऑनलाइन कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए एक ठोस नियामक व्यवस्था बने।
- विकलांग व्यक्तियों की गरिमा, जीवन के अधिकार और सम्मान की रक्षा हो।
- शो में आपत्तिजनक टिप्पणियों को हटाया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।
सुप्रीम कोर्ट ने मई में मुंबई पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया था कि समय रैना, विपुल गोयल, बलराज परमजीत सिंह घई, सोनाली ठाकर और निशांत जगदीश तंवर की उपस्थिति अगली सुनवाई में सुनिश्चित कराई जाए।
केंद्र सरकार का रुख
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि इस विषय पर दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने से पहले सभी हितधारकों की राय ली जानी चाहिए। कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और कहा कि यह मुद्दा सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि समाजिक संवेदना और मूल्यों का भी है।
क्या है SMA और क्यों उठा मुद्दा?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसका इलाज काफी महंगा होता है। आरोप है कि इंडियाज गॉट लेटेंट शो में इस पर असंवेदनशील मजाक किया गया, जिससे SMA से पीड़ित बच्चों और उनके परिजनों की भावनाएं आहत हुईं।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से विस्तृत जवाब और दिशा-निर्देशों पर सुझाव मांगे हैं। अगली सुनवाई की तारीख जल्द तय की जाएगी, जिसमें कोर्ट सोशल मीडिया रेगुलेशन और विकलांगों के अधिकारों की रक्षा को लेकर दिशा-निर्देशों पर विस्तृत चर्चा करेगा।