उत्तर प्रदेश

RSS और मुस्लिम धर्मगुरुओं की ऐतिहासिक बैठक, मोहन भागवत ने तोड़ी चुप्पी!

नई दिल्ली: हरियाणा भवन, दिल्ली में गुरुवार को एक अहम और सांकेतिक बैठक हुई जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शीर्ष पदाधिकारी और देशभर से मुस्लिम धर्मगुरु, बुद्धिजीवी शामिल हुए। इस RSS-मुस्लिम सम्मेलन में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार और रामलाल भी मौजूद रहे।

इस दौरान पूर्व उप कुलपति और भाजपा समर्थक फिरोज बख्त अहमद ने बेहद संवेदनशील और संतुलित भाषण दिया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय और संघ-भाजपा के बीच भरोसा कायम करने की आवश्यकता को दोहराया।

“भरोसा जीतने के लिए ठोस कदम ज़रूरी”

फिरोज बख्त अहमद ने कहा:

“दोनों पक्षों के बीच विश्वास जीतने के लिए सिर्फ संवाद नहीं, व्यावहारिक और वास्तविक कदम उठाने की ज़रूरत है।”

उन्होंने वक्फ संशोधन बिल को एक अच्छी शुरुआत बताया, लेकिन यह भी स्वीकार किया कि:

“कई मुसलमानों को यह भ्रम है कि भाजपा उनकी मस्जिदों, मदरसों और कब्रिस्तानों पर कब्जा करना चाहती है, जबकि ऐसा नहीं है।”

उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को गरीब मुस्लिम छात्रों और विधवाओं के लिए छात्रावास और शिक्षा पर खर्च बढ़ाना चाहिए, जिससे विश्वास का माहौल बन सके।

“मोहन भागवत कभी मुसलमानों के विरोधी नहीं रहे”

फिरोज बख्त ने संघ प्रमुख मोहन भागवत की तारीफ करते हुए उन्हें शांतिप्रिय और आध्यात्मिक नेता बताया। उन्होंने कहा:

“भागवत जी ने हमेशा मुसलमानों और संघ के बीच पुल बनाने की कोशिश की है। वे कभी मुसलमानों के प्रति नकारात्मक नहीं रहे।”

उन्होंने कहा कि आरएसएस को चाहिए कि वह ऐसे मुस्लिम चेहरों को आगे लाए जो न केवल समुदाय के लिए काम कर रहे हों बल्कि जिन्हें समाज का विश्वास भी प्राप्त हो।

“मुसलमान भी अपनी सोच बदलें”

फिरोज बख्त अहमद ने मुस्लिम समुदाय से भी आत्ममंथन करने की बात कही:

“मुसलमानों को भाजपा और संघ के खिलाफ पूर्वाग्रह छोड़ना होगा। उन्हें सिर्फ भाजपा को हराने के लिए नहीं, बल्कि अपनी विकास प्राथमिकताओं के आधार पर वोट देना चाहिए।”

“भाजपा के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं मुसलमान”

अहमद ने कहा कि मुस्लिम समुदाय अब जीवन की मुख्यधारा में शामिल होना चाहता है और भाजपा सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहता है। उन्होंने कहा:

“यह तभी संभव है जब दोनों पक्ष भरोसे और सम्मान के साथ एक-दूसरे को स्वीकार करें।”

Related Articles

Back to top button