उत्तर प्रदेश

“ऊर्जा मंत्री पर सुपारी गैंग की साजिश! विभाग के भीतर से रची जा रही चाल?”

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने सोमवार को एक सनसनीखेज बयान देकर प्रदेश की सियासत और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी। मंत्री के कार्यालय से जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि शर्मा की “सुपारी लेने वालों” में कुछ विद्युत कर्मचारी के वेश में अराजक तत्व भी शामिल हैं। यह पोस्ट शर्मा ने खुद भी अपने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से रीपोस्ट किया।

“साजिशकर्ताओं का गठजोड़”

ऊर्जा मंत्री के आधिकारिक अकाउंट से साझा की गई पोस्ट में कहा गया –

“लगता है कि ए.के. शर्मा जी से जलने वाले सभी लोग इकट्ठे हो गए हैं। लेकिन ईश्वर और जनता उनके साथ हैं। उनकी भावना सिर्फ जनता की बेहतर सेवा और बिजली व्यवस्था सुधारने की है।”

पोस्ट में यह आरोप भी लगाया गया कि कुछ विद्युत कर्मचारी नेता, मंत्री के रुख से नाराज़ हैं क्योंकि शर्मा “किसी के सामने झुकते नहीं हैं”।

निजीकरण के नाम पर अभद्रता का आरोप

पोस्ट के मुताबिक, हाल ही में ऊर्जा मंत्री के सरकारी आवास पर छह घंटे तक प्रदर्शन किया गया जिसमें निजीकरण के विरोध की आड़ में मंत्री और उनके परिवार के खिलाफ असभ्य भाषा का इस्तेमाल हुआ। इसके बावजूद शर्मा ने प्रदर्शनकारियों को मिठाई और पानी देकर धैर्य का परिचय दिया।

“चार बार हड़ताल, कोर्ट को करना पड़ा हस्तक्षेप”

पोस्ट में दावा किया गया कि शर्मा के तीन साल के कार्यकाल में चार बार हड़ताल हुई, जिनमें से पहली तो उनके मंत्री बनने के तीन दिन बाद ही तय थी। इसमें लिखा गया –

“हड़ताल की इस शृंखला पर माननीय उच्च न्यायालय को भी हस्तक्षेप करना पड़ा।”

मंत्री के तीखे सवाल

ऊर्जा मंत्री ने यह भी सवाल उठाए कि यदि हड़ताल का मुद्दा सही है, तो अन्य विभागों में यह क्यों नहीं होती? उन्होंने 2010 में आगरा में बिजली वितरण का निजीकरण “शांतिपूर्वक” होने की बात कहते हुए तंज कसा कि तब के यूनियन नेता “हवाई जहाज से विदेश पर्यटन पर चले गए थे।”

शर्मा ने स्पष्ट किया कि निजीकरण का फैसला कोई एक व्यक्ति नहीं ले सकता। उन्होंने कहा –

“जब एक जेई का ट्रांसफर भी ऊर्जा मंत्री नहीं करता, तो इतना बड़ा निर्णय अकेले कैसे करेगा? ये फैसला राज्य सरकार की अनुमति और टास्क फोर्स की सिफारिश पर हो रहा है।”

विपक्ष ने साधा निशाना

हालांकि इस बयान के बाद विपक्ष ने तुरंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मंत्री अपनी नाकामी को कर्मचारियों पर मढ़ रहे हैं और निजीकरण के फैसले को जबरन थोपने की कोशिश कर रहे हैं।

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