उत्तर प्रदेश

उत्तरकाशी आपदा पर एसपी नेता एसटी हसन का विवादित बयान, सियासी हलचल तेज़

नई दिल्ली / उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने और भारी बारिश से आई आपदा के बीच, समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद एसटी हसन का एक विवादास्पद बयान सामने आया है। हसन ने इस प्राकृतिक आपदा को धर्म से जोड़ते हुए कहा कि “जब ऊपर वाला हिसाब करता है तो आदमी कहीं से भी अपने आप को नहीं बचा सकता।” इस बयान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है और विपक्षी दलों समेत धार्मिक संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

एसटी हसन का बयान: “दूसरे मजहब का कोई सम्मान नहीं”

पूर्व सांसद एसटी हसन ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आई आपदाओं को लेकर कहा:

“उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में दूसरे मजहब का कोई सम्मान नहीं हो रहा। क्या दुनिया को चलाने वाला कोई और है? जब ऊपर वाले का इंसाफ होता है तो आदमी कहीं से भी नहीं बच पाता।”

उनके इस बयान को आपदा के धार्मिकरण के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर विभिन्न वर्गों से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने किया विरोध

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी ने एसटी हसन के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस प्रकार की टिप्पणी “गलत और गैरजिम्मेदाराना” है।

“आपदा को आपदा की नजर से देखना चाहिए। इसे हिंदू-मुस्लिम का रंग देना नासमझी है। ये घटनाएं प्राकृतिक होती हैं और दुनिया के हर कोने में होती हैं – चाहे वह मुस्लिम देश हो या हिंदू बहुल क्षेत्र।”

मौलाना ने आगे कहा कि ऐसे समय में लोगों को धर्म से ऊपर उठकर एकजुटता दिखानी चाहिए और पीड़ितों के लिए दुआ करनी चाहिए, न कि धार्मिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देना चाहिए।

राजनीतिक गलियारों में आलोचना तेज

एसटी हसन के बयान के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है। कई नेताओं ने इसे “आपदा में राजनीति” और “धर्म के नाम पर बंटवारे की कोशिश” करार दिया है।

अब तक समाजवादी पार्टी की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, लेकिन पार्टी पर दबाव बढ़ रहा है कि वह अपने नेता के बयान से किनारा करे या स्थिति स्पष्ट करे।

उत्तरकाशी में हालात अभी भी गंभीर

उत्तरकाशी में बादल फटने और भारी बारिश के कारण कई गांवों में भूस्खलन, मकानों का नुकसान और सड़क संपर्क टूटने जैसी गंभीर समस्याएं बनी हुई हैं। प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है, लेकिन कई इलाकों में अभी भी संपर्क पूरी तरह बहाल नहीं हो पाया है।

“खुदा से दुआ करें, ना कि मजहब जोड़ें”

मौलाना शहाबुद्दीन ने अपने बयान में यह भी कहा:

“इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए हमें खुदा से दुआ करनी चाहिए कि देश में अमन रहे और कहीं कोई प्राकृतिक आपदा न आए। इसे मजहबी चश्मे से देखना मानवता के खिलाफ है।

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