अलीगढ़ में महापौर का 15 दिन का दावा निकला खोखला, सड़कों पर गंदगी का साम्राज्य

अलीगढ़: स्मार्ट सिटी का सपना देखने वाला अलीगढ़ इन दिनों कचरे के ढेर में डूबा हुआ है। नगर निगम और महापौर प्रशांत सिंघल के दावे 15 दिन में शहर की सूरत बदलने के अब तक सिर्फ वादे ही साबित हुए हैं।
हेबिटेट सेंटर में हुआ था बड़ा ऐलान
बीते दिनों हेबिटेट सेंटर में हुई मीटिंग में महापौर और नगर आयुक्त ने मीडिया के सामने चार पेज का रोडमैप पेश किया था। दावा किया गया था कि 15 दिन में शहर साफ-सुथरा दिखेगा। लेकिन 15 दिन बीत गए, नालियां ओवरफ्लो हो रही हैं और सड़कों पर गंदगी का साम्राज्य कायम है।
स्थानीय लोगों का कहना है, “अफसर एसी में बैठकर योजनाएं बनाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बदलने का नाम नहीं लेती।”
सरकारी प्लॉट भी कचरे से अटे
नगर आयुक्त ने वादा किया था कि खाली प्लॉटों में कचरा डालने वालों पर भारी जुर्माना लगेगा। लेकिन हकीकत ये है कि नगर निगम के अपने सरकारी प्लॉटों पर ही कूड़े के ढेर लगे हैं। इन प्लॉटों पर निगम का बोर्ड तक लगा हुआ है, लेकिन सफाई के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
स्मार्ट सिटी का सपना धुंधला
महापौर ने अलीगढ़ को स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था, लेकिन नतीजा सामने है—शहर की तस्वीर वैसी ही है जैसी पहले थी। बारिश के बाद कीचड़, गंदगी और बदबू ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है।
जनता का आक्रोश बढ़ा
लोग अब सवाल पूछ रहे हैं—“कब तक गंदगी से जूझना पड़ेगा?” गंदगी और जलभराव से बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। नगर निगम की तरफ से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला।