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30 दिन हिरासत में रहने पर हटेगा पीएम-सीएम; विपक्ष ने कहा- लोकतंत्र पर हमला

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 130वां संविधान संशोधन बिल, 2025 पेश किया। इस बिल के अनुसार, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है, तो 31वें दिन उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।

सरकार का दावा है कि यह प्रावधान सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार रोकने के लिए है। लेकिन विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला करार दिया है।

क्या है बिल का प्रावधान?

30 दिन तक हिरासत में रहने पर पीएम, सीएम या मंत्री को 31वें दिन पद से हटाना होगा।

सरकार के मुताबिक, इसका उद्देश्य गवर्नेंस में पारदर्शिता और ईमानदारी लाना है।

विपक्ष का हमला: ‘यह असंवैधानिक और खतरनाक’

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इसे अधिकारों पर हमला बताया और कहा:

“कल को आप किसी मुख्यमंत्री पर कोई भी मुक़दमा डाल सकते हैं, उसे 30 दिन तक बिना दोष सिद्ध हुए जेल में रख सकते हैं, और उसे मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा। यह बिल्कुल ग़लत है, असंवैधानिक है, अलोकतांत्रिक है और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

टीएमसी प्रमुख और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इसे ‘सुपर-इमरजेंसी’ से भी आगे बताया:

“मैं भारत सरकार की तरफ़ से आज पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन बिल की कड़ी निंदा करती हूं। यह सुपर-इमरजेंसी से भी आगे की स्थिति है, भारत के लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए ख़त्म करने की कोशिश है।”

आरजेडी सांसद मनोज झा ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा:

“जब विपक्षी आवाज़ों को दबाया जाए या अप्रासंगिक बना दिया जाए, तो वहां लोकतंत्र नहीं बचता, बल्कि केवल चुनावी अनुष्ठानों में लिपटा हुआ निरंकुश शासन रह जाता है।”

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

विपक्ष का आरोप है कि इस बिल का दुरुपयोग कर राज्यों में सरकार गिराई जा सकती है।

बिना दोष सिद्ध हुए पद से हटाना संविधान की मूल भावना के खिलाफ माना जा रहा है।

इसे संघीय ढांचे और लोकतंत्र के लिए खतरा बताया जा रहा है।

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