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बिहार में उलटफेर: जन सुराज प्रत्याशी ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी को दिया समर्थन

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले मुंगेर विधानसभा सीट पर बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार संजय सिंह ने मंगलवार देर रात भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया और भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय को अपना समर्थन दे दिया। इस घटनाक्रम के बाद मुंगेर सीट पर चुनावी मुकाबला अब और दिलचस्प हो गया है।

जन सुराज उम्मीदवार ने छोड़ी पार्टी, बीजेपी में हुए शामिल

जन सुराज की ओर से मुंगेर सीट से उम्मीदवार बनाए गए संजय सिंह ने बुधवार को भाजपा उम्मीदवार कुमार प्रणय की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान संजय सिंह के साथ उनके कई समर्थक भी मौजूद रहे।
संजय सिंह ने कहा —“मैंने जनता के हित और विकास के लिए बीजेपी का समर्थन करने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार आगे बढ़ेगा।”

इस कदम से जन सुराज को जहां बड़ा झटका लगा है, वहीं बीजेपी का स्थानीय संगठन इसे एक रणनीतिक सफलता मान रहा है।

मुंगेर सीट पर बदले समीकरण

मुंगेर विधानसभा सीट पर पहले चरण में यानी 6 नवंबर (कल) को मतदान होना है।अब जन सुराज उम्मीदवार के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस सीट पर तीन प्रमुख दलों — भाजपा, राजद (RJD) और जदयू (JDU) — के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना बन गई है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि संजय सिंह के भाजपा में आने से जन सुराज के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा बीजेपी के खाते में जा सकता है, जिससे मुकाबला एकतरफा भी हो सकता है।

बीजेपी प्रत्याशी कुमार प्रणय चर्चा में

बीजेपी ने मुंगेर से कुमार प्रणय को टिकट दिया है। वे इस बार अपनी संपत्ति को लेकर चर्चा में हैं।
नामांकन के दौरान दाखिल हलफनामे में कुमार प्रणय ने अपनी कुल संपत्ति लगभग ₹177 करोड़ बताई है, जिससे वे बिहार चुनाव 2025 के सबसे अमीर उम्मीदवारों में शुमार हो गए हैं।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कुमार प्रणय को मजबूत संगठन, वित्तीय संसाधनों और अब जन सुराज उम्मीदवार के समर्थन से सीट पर बढ़त मिल सकती है।

मुंगेर का चुनावी इतिहास

  • 2020 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी उम्मीदवार प्रणव कुमार यादव ने करीबी मुकाबले में जीत दर्ज की थी।
  • 2015 में यह सीट आरजेडी (RJD) के खाते में गई थी।
    इस बार फिर से बीजेपी इस सीट को कायम रखने की कोशिश में जुटी है, जबकि राजद और जदयू इसे वापस जीतने की चुनौती के रूप में देख रहे हैं।

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