जंतर-मंतर प्रोटेस्ट मामले में दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने अलका लांबा के खिलाफ आरोप तय किए

नई दिल्ली: दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता अलका लांबा के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्लियामेंट में महिला आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर हुए प्रदर्शन में पुलिस पर हमले के मामले में आरोप तय कर दिए हैं।
कोर्ट का आदेश
राउज़ एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (ACJM) अश्विनी पंवार ने लांबा पर निम्नलिखित आरोप तय किए हैं:
- सरकारी कर्मचारियों पर हमला करना
- क्रिमिनल फोर्स का इस्तेमाल
- सरकारी अधिकारियों के काम में रुकावट डालना
- कानूनी आदेश का पालन न करना
- सार्वजनिक रास्ते में रुकावट डालना
कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक दृष्टि में आरोपी के खिलाफ BNS की धारा 132/221/223(a)/285 के तहत मामला बनता है। इसी आधार पर कोर्ट ने अलका लांबा की बरी करने की अर्जी भी खारिज कर दी।
वकील का पक्ष
सुनवाई के दौरान लांबा के वकील ने दलील दी कि प्रोटेस्ट शांतिपूर्ण था और केवल एक तय क्षेत्र में हुआ था, जहां प्रदर्शन की अनुमति थी। वकील ने यह भी कहा कि:
- कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है
- चोटों की कोई मेडिकल रिपोर्ट नहीं है
- वीडियो सबूतों में लांबा को किसी पुलिस ऑफिसर पर हमला करते हुए नहीं दिखाया गया
कोर्ट ने देखा वीडियो सबूत
कोर्ट ने वीडियो फुटेज की समीक्षा की और पाया कि लांबा प्रदर्शनकारियों को भड़काते हुए, पुलिस अधिकारियों को धक्का देते, बैरिकेड तोड़ते और प्रदर्शनकारियों को तय प्रोटेस्ट एरिया से बाहर ले जाते हुए दिखाई दीं। कोर्ट ने कहा कि लांबा प्रोटेस्ट में सबसे आगे थी और उसने दूसरों को बैरिकेड तोड़ने और पब्लिक रास्ते में रुकावट डालने के लिए उकसाने में अहम भूमिका निभाई।
क्या है मामला?
यह मामला 29 जुलाई, 2024 को हुए जंतर-मंतर प्रोटेस्ट से जुड़ा है, जिसमें महिला आरक्षण के समर्थन में प्रदर्शन किया गया था। प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, उस दिन जंतर-मंतर रोड के आस-पास BNSS सेक्शन 163 के तहत रोक थी और पार्लियामेंट की तरफ मार्च करने की अनुमति नहीं दी गई थी।


