उत्तर प्रदेश

मुहर्रम पर सीएम योगी का बड़ा बयान: “लातों के भूत हैं, बातों से नहीं मानेंगे”

वाराणसी | 18 जुलाई 2025 — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुहर्रम और सावन के अवसर पर कानून-व्यवस्था को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में जौनपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि मुहर्रम का हर जुलूस उत्पात और तोड़फोड़ का कारण बनता था, जबकि कांवड़ यात्रा को उन्होंने “एकता का अद्भुत संगम” बताया।

जौनपुर की घटना पर बोले – लाठी मारो, लातों से भूत हैं

सीएम योगी ने कहा कि जौनपुर में मुहर्रम के दौरान एक ऊंचे ताजिए की वजह से हाई टेंशन लाइन की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद उपद्रव हुआ और लोगों ने सड़क जाम कर दी। इस पर योगी आदित्यनाथ ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा:

“मैंने पुलिस से कहा कि लाठी मार कर के बाहर करो इनको क्योंकि ये लातों से भूत हैं। बातों से मानेंगे नहीं।”

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर इस बयान का किसी ने विरोध नहीं किया क्योंकि सच्चाई सब जानते हैं।

मुहर्रम बनाम कांवड़ यात्रा

मुख्यमंत्री ने कहा कि:

“मुहर्रम का हर जुलूस कभी न कभी आगजनी, उत्पात, तोड़फोड़ का कारण बनता था। हमने नियम बना दिया कि ताजिए की लंबाई सीमित हो। दूसरी ओर कांवड़ यात्रा एकता और भक्ति का संगम है, जहां श्रद्धालु 200-400 किलोमीटर तक पैदल यात्रा करते हैं और हर-हर बम बोलते हैं।”

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कांवड़ियों को भी “उपद्रवी और आतंकवादी” कहने वालों की मानसिकता भारत की आस्था और परंपरा के विरुद्ध है।

फेक अकाउंट से जातीय संघर्ष फैलाने का आरोप

मुख्यमंत्री योगी ने सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट्स के जरिए जातीय संघर्ष फैलाने की साजिशों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि:

“कुछ लोग समाज को मुख्यधारा से अलग करने की कोशिश करते हैं। ये लोग फेक प्रोफाइल से नफ़रत फैलाते हैं।”

उन्होंने एक पुरानी घटना का ज़िक्र करते हुए कहा:

“एक आगजनी की घटना में एक व्यक्ति भगवा गमछा ओढ़े था, लेकिन उसके मुंह से ‘या अल्लाह’ निकला। ऐसे लोगों को चिन्हित करना ज़रूरी है।”

‘धरती आबा’ बिरसा मुंडा और सनातन पर बयान

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जब भी सनातन धर्म के सामने कोई चुनौती आई है, जनजातीय समाज सबसे पहले खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा:

“वेदों की ऋचाएं महलों में नहीं, बल्कि जंगलों में लिखी गईं। यही भारत की जड़ें हैं।”

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