योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान: “राजनीतिक इस्लाम” पर छेड़ी बहस

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के दौरान बड़ा बयान देते हुए कहा कि देश में ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेश की तो चर्चा होती है, लेकिन “राजनीतिक इस्लाम” की बात नहीं की जाती, जिसने सनातन आस्था पर सबसे अधिक आघात किया है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, महाराणा प्रताप और सांगा जैसे महान योद्धा राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ ही लड़े थे।
गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में ‘दीपोत्सव से राष्ट्रोत्सव’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने राम मंदिर आंदोलन में संघ की भूमिका को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि संघ के संकल्प और संघर्ष से आज अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बन रहा है।
सपा-कांग्रेस पर तीखा हमला
मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के दीपोत्सव पर दिए बयान को लेकर उन पर जोरदार हमला किया। उन्होंने कहा,
“दीपावली पर दीया जलाने के विरोध में बयान देकर अखिलेश यादव ने सिद्ध कर दिया कि उन्हें भगवान राम, सनातन धर्म और इसके पर्व-त्योहारों से नफरत है।”
उन्होंने अखिलेश को “रामद्रोही, कृष्णद्रोही और सनातन पर्व-द्रोही” बताया और तंज कसते हुए कहा,
“गद्दी तो विरासत में मिल सकती है, लेकिन बुद्धि नहीं।”
योगी ने यह भी कहा कि मिट्टी के दीयों का विरोध करने वाले लोग कुम्हारों और किसानों का अपमान कर रहे हैं।
कांग्रेस पर भी निशाना
सीएम योगी ने कांग्रेस पर भी हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अदालत में हलफनामा देकर कहा था कि भगवान राम और कृष्ण मिथक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सपा ने रामभक्तों पर गोलियां चलवाई थीं।
उन्होंने कहा,
“आज अयोध्या में दुनिया भर से लोग आकर रामलला के दर्शन कर रहे हैं। पिछले वर्ष 6 करोड़ श्रद्धालु अयोध्या आए, प्रयागराज में महाकुंभ में 66 करोड़ लोगों ने भाग लिया। लेकिन कांग्रेस और सपा को इसमें भी खोट नजर आता है।”
योगी ने बताया “दीपोत्सव” का महत्व
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस बार अयोध्या दीपोत्सव में 26 लाख 17 हजार दीयों के साथ विश्व रिकॉर्ड बना है। उन्होंने इसे अयोध्या की नई पहचान बताया और कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में राम मंदिर, सनातन धर्म और सांस्कृतिक विरासत जैसे मुद्दे चुनावी विमर्श के केंद्र में हैं। योगी आदित्यनाथ के इस भाषण को आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक और वैचारिक बहस की जमीन तैयार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।


