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नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट से विकास यादव को अंतरिम राहत


नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी करार दिए गए विकास यादव को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत फिलहाल बरकरार रहेगी। शीर्ष अदालत ने यादव को उसकी बीमार मां की देखभाल के लिए दी गई अस्थायी ज़मानत को चार सप्ताह के लिए और बढ़ा दिया है।

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की बेंच ने आदेश देते हुए यह भी कहा कि अगर विकास सजा में छूट चाहता है, तो उसे दिल्ली हाईकोर्ट का रुख करना होगा।

मेडिकल आधार पर मिली राहत

विकास यादव की मां की हालत को देखते हुए उन्हें पहले ही अंतरिम जमानत दी गई थी। एम्स के मेडिकल बोर्ड की 8 मई को आई रिपोर्ट में कहा गया था कि यादव की मां की हालत ‘हीमोडायनामिकली स्थिर’ है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि दवाओं से इलाज सफल नहीं हुआ तो स्पाइनल सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है।

इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कुछ और समय अपनी मां की देखभाल के लिए घर पर बिताने की अनुमति दी है।

कोर्ट की सख्त शर्तें

24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन साथ में कुछ सख्त शर्तें भी लगाईं:

  • विकास यादव सिर्फ गाजियाबाद स्थित अपने घर तक ही सीमित रहेंगे।
  • वह मामले के किसी भी गवाह से, विशेषकर नीलम कटारा (नीतीश कटारा की मां) से संपर्क नहीं करेंगे।
  • उन्हें 1 लाख रुपये का निजी मुचलका और उतनी ही ज़मानत राशि अदालत में जमा करनी होगी।

कौन हैं विकास यादव?

विकास यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री डी.पी. यादव का बेटा है। 17 फरवरी 2002 को उसने अपने चचेरे भाई विशाल यादव के साथ मिलकर नीतीश कटारा की अपहरण के बाद हत्या कर दी थी। नीतीश एक उभरते हुए बिजनेस एग्जीक्यूटिव और आईएएस अफसर के बेटे थे।
हत्या की वजह – नीतीश का रिश्ता विकास की बहन भारती यादव से था, जिससे यादव परिवार नाराज़ था।

अब तक की सजा और सजा में छूट की स्थिति

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए विकास और विशाल यादव को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी।
  • तीसरे दोषी सुखदेव पहलवान को 25 साल की जेल की सजा दी गई थी।
  • पिछले साल दिल्ली जेल प्रशासन ने विकास यादव के असंतोषजनक आचरण के चलते उसकी सजा माफी की अर्जी खारिज कर दी थी।

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